आवासीय विद्यालय में घट रही छात्राएं
संवाद सूत्र, लालढांग: लालढांग स्थित राजकीय आश्रम पद्धति बालिका विद्यालय में दिन प्रतिदिन छात्राओं
संवाद सूत्र, लालढांग:
लालढांग स्थित राजकीय आश्रम पद्धति बालिका विद्यालय में दिन प्रतिदिन छात्राओं को संख्या घटती जा रही है। स्कूल के छात्रावास में पिछले आठ साल से एक भी छात्रा नहीं रह रही है। छात्रावास के कमरों में आइटीआइ और कुछ कमरों में विद्यालय के स्टाफ ने कब्जा कर रखा है। वहीं, छात्रावास के अन्य कमरे क्षतिग्रस्त होने की कगार पर हैं। इससे छात्राओं की संख्या कम होती जा रही है।
भले ही सरकार शिक्षा के प्रचार और प्रसार करने का लाख दावा करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कोसों दूर है। जागरुकता की कमी के चलते लालढांग स्थित राजकीय आश्रम पद्धति बालिका विद्यालय में छात्राओं की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने बोक्सा जनजाति के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए सन 1989 में विद्यालय की स्थापना की थी। जहां विद्यालय में पूर्व में 80 छात्राएं छात्रावास में ही रहकर शिक्षा ग्रहण करती थीं, वर्तमान सत्र में यह संख्या घटकर मात्र 22 ही रह गई है। आलम यह है कि 2008 से लेकर वर्तमान सत्र तक स्कूल के छात्रावास में एक भी छात्रा नहीं रह रही है। छात्रों की संख्या बढाने के लिए विद्यालय प्रशासन ने शासन को पत्र लिखकर स्कूल में बोक्सा जनजाति के अलावा अन्य जातियों के छात्राओं को भी प्रवेश देने की मांग की थी। जिस पर डायरेक्टर राजकीय आश्रम पद्धति बालिका विद्यालय ने इसी सत्र में अनुसूचित जाति के छात्राओं को भी विद्यालय में प्रवेश देने की अनुमति प्रदान कर दी है। इसके बाद भी छात्राओं की संख्या में कोई बढोत्तरी नहीं हो सकी है। स्कूल के प्रभारी अधीक्षक हंस कुमार चौहान ने बताया कि पूरे क्षेत्र में घूम कर लोगों से बच्चों को स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजने को जागरुक करते हैं, इसके बाद भी छात्राओं की संख्या नहीं बढ़ रही है।
वर्षवार छात्राओं की संख्या
सत्र, छात्राएं
2008-09,67
2009-10,54
2010-11,32
2011-12,30
2012-13,30
2013-14,30
2014-15,21
2015-16,33
2016-17,22
बि¨ल्डग हो रही क्षतिग्रस्त
तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने विद्यालय के निर्माण के लिए धन देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। दो मंजिला भवन में 15 कमरे हैं। छात्रावास के दो कमरों में आइटीआइ के साथ ही कुछ कर्मचारियों ने अपने आवास बना रखे हैं। जो कमरे खाली हैं, वह रखरखाव की कमी के चलते बदतर स्थिति में है।
विद्यालय में छात्राओं की संख्या बढ़ाने के लिए अनुसूचित जाति के छात्राओं को भी प्रवेश दिया जा रहा है। अगले सत्र से स्कूल में छात्राओं की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। छात्राओं की संख्या बढ़ने पर छात्रावास में रहने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
अनुराग शंखधर, जिला समाज कल्याण अधिकारी, हरिद्वार