ग्रामीण करते हैं आपदा प्रबंधन को 'अलर्ट'
संवाद सहयोगी, रुड़की: बाढ़ राहत चौकियां बस कागजों पर ही चल रही है। आपदा प्रबंधन के नाम पर खानापूरी की
संवाद सहयोगी, रुड़की: बाढ़ राहत चौकियां बस कागजों पर ही चल रही है। आपदा प्रबंधन के नाम पर खानापूरी की जा रही है। नदियों के उफान पर आने की सूचना पर ही बाढ़ राहत चौकियों के अधिकारी और कर्मचारी अलर्ट होते हैं, लेकिन नदियों का पानी उतरते ही बाढ़ राहत चौकियों सूनी हो जाती हैं।
रुड़की और घाड़ क्षेत्र में आपदा प्रबंधन के नाम पर चार बाढ़ राहत चौकियां बनाई गई हैं। इनमें से घाड़ क्षेत्र में तेलपुरा, बुग्गावाला, छांगामजरी जबकि रुड़की में बडेढी राजपुताना में एक बाढ़ राहत चौकी बनाई गई है। घाड़ क्षेत्र की तीनों चौकियां संवेदनशील चौकियों में शामिल हैं। बरसात के इस सीजन में सोलानी नदी समेत घाड़ की 10 से अधिक नदियां उफान पर आ चुकी हैं। 20 दिन पहले बुग्गावाला की धुलिया नदी में कई वाहन फंस गए थे, जिन्हें बमुश्किल निकाला गया था। उस समय आपदा प्रबंधन के नाम पर पुलिस ही मौके पर पहुंची थी। ग्रामीणों ने ही बाढ़ राहत चौकियों को इसकी सूचना दी थी। सोमवार को बुग्गावाला की रायघटी नदी में निर्माणाधीन पुल पर तैनात कर्मचारी मौके पर फंस गए थे। तब भी बाढ़ राहत चौकियां बेखबर थी और ग्रामीणों की सूचना के बाद ही हरकत में आई थी।
घाड़ क्षेत्र के ग्रामीण सतपाल, मुर्तजा, सहीराम, केशव, जोधराम आदि का आरोप है कि नदी उतरने के साथ ही अधिकारी भी गायब हो जाते हैं। राहत के नाम पर केवल पुलिस ही काम आती है। बाढ़ से पहले ग्रामीणों को सतर्क नहीं किया जाता, केवल यह सब कागजों में हो रहा है। दूसरी ओर, जिलाधिकारी हरबंस सिंह चुघ ने बताया कि सभी एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं कि बाढ़ राहत चौकियों का निरीक्षण कर कर्मचारियों को सतर्क किया जाए। लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।