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बारह बच्चों पर तीन सहायिकाएं

जागरण संवाददाता, रुड़की: महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से जिन आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चे

By Edited By: Published: Thu, 30 Jun 2016 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2016 01:00 AM (IST)
बारह बच्चों पर तीन सहायिकाएं

जागरण संवाददाता, रुड़की: महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से जिन आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चे कम संख्या में आते थे,उन केंद्रों को क्लस्टर तो बना दिया गया है, लेकिन अब आलम है कि रुड़की ब्लॉक में कई आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं जहां केंद्र में आने वाले बच्चों की संख्या दस-बारह है, तो वहीं उन केंद्रों में तीन-तीन कार्यकत्रियां एवं सहायिकाएं तैनात हैं। ऐसे में कार्यकत्रियों एवं सहायिकाओं की सेवाओं का उचित लाभ विभाग को नहीं मिल रहा है।

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आंगनबाड़ी केंद्रों में अपने बच्चों को भेजने की ओर अभिभावकों का रुझान कम होने की वजह से विभाग की ओर से पिछले दिनों कई केंद्रों को क्लस्टर बनाया गया। इसके तहत जिन केंद्रों में चार-पांच नौनिहाल आ रहे थे, ऐसे केंद्रों को आसपास के दूसरे केंद्र में समायोजित कर दिया गया है। इसके बावूजद रुड़की ब्लॉक में ग्रामीण प्रथम, ग्रामीण द्वितीय और शहरी परियोजनाओं के अंतर्गत कई केंद्र ऐसे हैं जहां केंद्रों के समायोजन के बाद भी बच्चों की संख्या दस-पन्द्रह के आगे नहीं बढ़ सकी है, बल्कि कुछ केंद्रों में तो समायोजन के बाद भी दस से भी कम संख्या में बच्चे पहुंच रहे हैं। शफीपुर, सलेमपुर, ढंडेरी, दौलतपुर और शहरी क्षेत्र में कई केंद्रों में तीन केंद्रों को मिलाकर एक केंद्र बनाया गया है, लेकिन यहां पर बच्चे दस भी कम हैं, जबकि तीन-तीन कार्यकत्रियां और सहायिकाएं हैं। उधर, अधिकांश केंद्र किराये के भवनों में चल रहे हैं। ऐसे में छोटे-छोटे कमरों में जगह का अभाव है। इस कारण बच्चों, कार्यकत्रियों व सहायिकाओं के बैठने के लिए पर्याप्त जगह भी नहीं है। इस कारण बच्चों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।

दर्जनों केंद्रों को किया समायोजित

रुड़की ब्लॉक में बाल विकास परियोजना ग्रामीण प्रथम में कुल 373, ग्रामीण द्वितीय में 204 और शहरी क्षेत्र में 139 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। ग्रामीण प्रथम में 373 केंद्रों में से लगभग 65 से अधिक क्लस्टर और ग्रामीण द्वितीय में 204 केंद्रों में से 47 क्लस्टर बनाए गए हैं। इसी तरह से शहरी क्षेत्र में भी जिन क्षेत्रों में स्थित केंद्रों में बच्चों की संख्या काफी कम थी उन्हें दूसरे केंद्रों में समायोजित कर दिया गया है।

जिन आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की संख्या काफी कम थी, उन्हें क्लस्टर बनाया गया है। क्लस्टर बनाने के बाद भी जिन केंद्रों में बच्चों की संख्या कम है और कार्यकत्रियां एवं सहायिकाएं आवश्यकता से अधिक हैं, ऐसे में उनकी सेवाएं किसी और कार्य में ली जाएंगी।

मोहित चौधरी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग


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