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घाटों पर पानी की कमी से संतों का पारा चढ़ा

संवाद सहयोगी, हरिद्वार : मुख्यधारा में जल कम होने से नाराज संतों ने भूमानंद घाट पर प्रदर्शन किया। इस

By Edited By: Published: Sun, 07 Feb 2016 01:00 AM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2016 01:00 AM (IST)
घाटों पर पानी की कमी से संतों का पारा चढ़ा

संवाद सहयोगी, हरिद्वार : मुख्यधारा में जल कम होने से नाराज संतों ने भूमानंद घाट पर प्रदर्शन किया। इस दौरान संतों ने गंगा में खड़े होकर चेतावनी दी कि यदि दस दिन में जलस्तर सामान्य न हुआ तो दस संत जल समाधि ले लेंगे। दूसरी ओर मेलाधिकारी एसए मुरुगेशन ने कहा कि सिंचाई विभाग को पानी छोड़ने के निर्देश दिए हैं।

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दरअसल, सप्तसरोवर क्षेत्र में अ‌र्द्धकुंभ मेले के लिए मेला क्षेत्र बसाया गया है। यहां मीडिया सेंटर, रैन बसेरा, पुलिस कैंप और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के पंडाल आदि हैं। ऐसे में इस तरफ पानी कम छोड़ा जा रहा है। इससे सप्तऋषि, भागीरथ बिन्दु व अन्य गंगा घाटों पर पानी की मात्रा कम हो गई है।

शनिवार को अखिल भारतीय सनातन संत समाज ने सप्तसरोवर स्थित भूमानंद घाट पर गंगा में खड़े होकर प्रदर्शन किया। अखिल भारतीय सनातन संत समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत विनोद गिरी ने कहा की अ‌र्द्धकुंभ गंगा से ही है। यदि गंगा में जल नहीं होगा तो अ‌र्द्धकुंभ का भव्य आयोजन किस काम का। उन्होंने कहा कि सप्तसरोवर संत बाहुल्य क्षेत्र है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि दस दिन में स्थिति सामान्य नहीं हुई तो संत जल समाधि लेने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत और उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जिम्मेदार होंगे। राष्ट्रीय संगठन मंत्री महंत रविन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि गंगा से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। यदि गंगा में जल नहीं होगा तो श्रद्धालु कैसे स्नान करेंगे।

मेलाधिकारी एसए मुरुगेशन ने बताया कि ¨सचाई विभाग को पानी छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि स्नान से पहले घाटों में पर्याप्त पानी उपलब्ध रहेगा। उधर, सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश ने इसके लिए उत्तराखंड सरकार को जिम्मेदार ठहराया। विभाग के एसडीओ सुशील कुमार ने बताया कि उत्तराखंड की ओर से घाटों पर काम कराया जा रहा था। उत्तर प्रदेश की ओर इस मामले में आपत्ति भी दर्ज कराई गई। ऐसे में पानी की कमी होना स्वाभाविक है।


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