सड़क की कसौटी पर कसेगी सियासत
संतोष तिवारी, हरिद्वार: अच्छी सड़कें अगर विकास का पैमाना हैं, तो धर्मनगरी हरिद्वार के ग्रामीण इलाको
संतोष तिवारी, हरिद्वार:
अच्छी सड़कें अगर विकास का पैमाना हैं, तो धर्मनगरी हरिद्वार के ग्रामीण इलाकों की सड़कें इस मानक पर कहीं भी खरा नहीं उतरतीं। एक साल से अधिक समय से ग्रामीण इलाकोंकी निर्माणाधीन सड़कें राहगीरों से लेकर वाहन चालकों के जी का जंजाल बनी हैं, लेकिन जिम्मेदार बजट की कमी का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ रहे हैं। लेकिन, सड़कों की दशा से बेजार हो चुके ग्रामीण अब धीरे-धीरे मुखर होने लगे हैं। मुख्यमंत्री की जन सुनवाई व समाधान कार्यक्रम में जिस तरह बदहाल सड़कों का मुद्दा उछला, उससे पंचायत चुनाव में सियासी दलों को जवाब तलाशने में बगले झांकना पड़ेगा।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से हरिद्वार के ग्रामीण इलाकों के सड़कों की सूरत बदलने की मुहिम हिचकोले खा रही है। पिछले साल के बजट में स्वीकृत ग्रामीण इलाकों की आधा दर्जन प्रमुख सड़कें अधूरी पड़ी हैं, जिन पर वाहनों से चलना तो दूर पैदल चलना भी दुश्वार होने लगा है। अकबरपुर ¨सकरोडा से नागला, हल्लू माजरा, धीरमाजर से चंगा माजरी दरिया, रुड़की लक्सर रोड से कुटी कुआंखेड़ा व भगवानपुर क्रशर खानपुर से खजूरी की चार सड़कों के लिए पांच करोड़ 13 लाख रुपये का बजट मांगा गया था। इसमें से एक करोड़ 16 लाख मिले, लेकिन कार्यदायी संस्था के लचर रूख के चलते इसमें से केवल 22 करोड़ 80 लाख रुपये ही खर्च किए जा सके हैं। 11 किलोमीटर लम्बी अकबरपुर ¨सकरोडा से नागला तक की सड़क का केवल आठ किमी हिस्सा ही बन सका है, जबकि 17 किमी लम्बी भगवानपुर क्रशर खानपुर से खजूरी की सड़क केवल सात किलोमीटर ही पूरी हो सकी है। हल्लू माजरा धीरमाजरा से चंगा माजरी दरिया सड़क का निर्माण बजट के अभाव में शुरू ही नहीं हो सका है। रुड़की लक्सर रोड से कुटी कुआंखेड़ा तक की चार किलोमीटर लम्बी सड़क का महज एक किलोमीटर हिस्सा अधूरा होने से राहगीरों का सफर दुखदायी बना है।
सड़क शिकायतों की लगी भरमार
सड़कों को लेकर जन प्रतिनिधियों की बैठकों में अक्सर सवालों से घिरने वाले अफसर इसे लेकर कहीं से भी संजीदा नहीं दिखते। इसका पता इसी से लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार विभाग बड़ी सड़कों को तो दूर दो-चार किलोमीटर की सड़कों के सफर को भी अब तक सुगम नहीं बना सके हैं। गुरुवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत की जन सुनवाई कार्यक्रम में सबसे अधिक शिकायतें सड़कों की ही थीं। इसे लेकर मुख्यमंत्री के तेवर भी कड़े हो गए और उन्हें कहना पड़ा कि सड़कों को लेकर अफसर गम्भीर हो जाएं, नहीं तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
यहां भी सड़कें बदहाल
- फेरूपुर रामखेड़ा से चांदपुर : लम्बाई 2.20 किमी
- शेरपुर से आलमपुर : लम्बाई 3.20 किमी
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ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों के निर्माण को जल्द पूरा करने के निर्देश सम्बन्धित विभाग को दिए गए हैं, जो सड़कें अधूरी हैं उनकी जांच कराई जाएगी। इस बारे में विभागों से जानकारी मांगी गई है।
सोनिका, सीडीओ, हरिद्वार