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औंधे मुंह हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट योजना

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: वाहनों की सुरक्षा के लिहाज से हरिद्वार में भी वर्ष 2012 में परिवहन विभ

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 01:00 AM (IST)
औंधे मुंह हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट योजना

जागरण संवाददाता, हरिद्वार:

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वाहनों की सुरक्षा के लिहाज से हरिद्वार में भी वर्ष 2012 में परिवहन विभाग ने हाई-सिकयोरिटी नंबर प्लेटें लगाने का कार्य शुरू किया था। लेकिन अफसोस की यह योजना वर्तमान में इस कदर भटक गई है कि खुद विभाग को नहीं मालूम कि बीते तीन सालों में जिले में कितनी नंबर प्लेटें लगाई गई। यही नहीं नंबर प्लेट लगाने वाली कंपनी भी हांफ गई है।

वर्ष 2012 में हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट लगाने की योजना हरिद्वार में भी शुरू हुई थी। इस प्लेट पर जारी होने के बाद उस पर कुछ भी लिख पाना कठिन था। हरिद्वार में शुरुआती दिनों में तो योजना ठीकठाक चली, लेकिन सरकारी तंत्र का कोई खास नियंत्रण न होने के कारण यह अव्यवस्था का शिकार होने लगी। आनलाइन चलने वाली यह व्यवस्था अब आफलाइन हो चुकी है। यहां नम्बर प्लेट जारी होने में अब हफ्तों से लेकर महीनों का समय लग जा रहा है। जिसके चलते वाहनों के पंजीकरण के लिए आने वाले अब इससे किनारा करने लगे हैं, वह बिना नम्बर के चलने के बजाए बाजार से नम्बर प्लेट खरीद कर वाहन पर लगा लेते हैं, ताकि पुलिस व परिवहन विभाग की कार्रवाई से बचा जा सके। शुरू के दिनों में परिवहन विभाग ने योजना को प्रभावी बनाने के लिए कार्यदायी संस्था के नकेल कसी, लेकिन रसूखदारों के हस्तक्षेप के चलते विभाग के अधिकारियों ने इस ओर ध्यान देना ही बंद कर दिया। रजिस्ट्रेशन कराने पहुंचे हर्ष, अजय कुमार नेगी, गोविन्द व अन्य लोगों ने कहा कि शुल्क जमा कर देने के बाद भी जब नम्बर प्लेट पाने के लिए दौड़ लगानी पड़ती है तो खीझ होती है।

संस्था पर लग चुका है जुर्माना

शर्तों के मुताबिक सेवाएं न दे पाने के चलते कार्यदायी संस्था ¨लक उत्सव प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली पर पर पिछले साल 76 लाख रुपए का जुर्माना लगा था। इसके अलावा उपभोक्ता फोरम के माध्यम से संस्था पर कई मामलों में जुर्माना लग चुका है। दोनों को मिलाकर आंकड़ा एक करोड़ रुपए पार हो चुका है। यह जुर्माना संस्था ने अदा किया कि नहीं इस बारे में भी विभाग के पास कोई जवाब नहीं है। सात दिन में जारी होने चाहिए नम्बर प्लेट

वाहन पंजीकरण के सात दिनों के भीतर कार्यदायी संस्था को नम्बर प्लेट जारी कर देना होता है। जब तक व्यवस्था आनलाइन थी, संस्था की जवाबदेही बनती थी, लेकिन पिछले कई महीनों से हाथों से नम्बर प्लेट की रसीदें काटे जाने की वजह सबकुछ उलट-पुलट हो गया है। ऐसे में अधिकांश लोग अब यहां रसीद कटवाने से कतराने लगे हैं कि कौन पैसा फंसाने जाए। हालांकि सातवें दिन के बाद से संस्था को सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से विलम्ब शुल्क देना होता है।

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क्या है शुल्क

छोट वाहनों के लिए : 245 रुपए

बड़े वाहनों के लिए : 425 रुपए

कामर्शियल वाहनों के अलग-अलग शुल्क निर्धारित है।

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हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट जारी होने के सम्बन्ध में कार्यदायी संस्था का विभाग से तालमेल नहीं है। वह मनमाने तरीके से काम कर रही है। इस बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है।

मनीष कुमार, एआरटीओ प्रशासन, हरिद्वार


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