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शांतिकुंज में भारतीय संस्कृति को जान अभिभूत हुआ दल

संवाद सहयोगी, हरिद्वार: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के प्रस्ताव पर भारतीय संस्कृति की झलक देखने शांतिकु

By Edited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 06:17 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2015 06:17 PM (IST)
शांतिकुंज में भारतीय संस्कृति को जान अभिभूत हुआ दल

संवाद सहयोगी, हरिद्वार: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के प्रस्ताव पर भारतीय संस्कृति की झलक देखने शांतिकुंज आए इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन इंडोलॉजी के 40 सदस्यीय दल ने बुधवार को सन 1926 से सतत प्रज्ज्वलित अखंड द्वीप के दर्शन किए।

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इस दौरान प्रतिनिधि मंडल ने गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणब पण्ड्या व संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी से भेंट की। इस अवसर पर डॉ. पण्ड्या ने कहा कि ऋषियों की इस भूमि में पुन: वसुधैव कुटुम्बकम की ऋचा गूंथने जा रही है। संस्था की अधिष्ठात्री शैल दीदी ने कहा कि संवेदना ही मानव को मानव बनाती है। इस सम्पूर्ण कार्यक्रम के संयोजक व इंडियन कांऊसिल फार कल्चरल रिलेशन्स (आइसीसीआर) के डायरेक्टर जनरल राजशेखरन ने गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति के प्रचार में जुटे युवा वर्ग के उत्साह की प्रशंसा की। इस मौके पर इंडोलॉजी कान्फ्रेन्स दल के प्रमुख जर्मनी हेनरिच फ्रेहर, चीन से आये वांग वेनवे व चीली के प्रो. सर्गियो मेलीटन कारोस्को अल्वरेज ने भी विचार रखे। इसके बाद इंडोलॉजी का प्रतिनिधि मंडल पुन: आने के संकल्प के साथ विदा हो गया।

दल के सदस्यों ने किया ध्यान

इससे पूर्व दल के सभी सदस्यों ने देवात्मा हिमालय के प्रतीक रूप से बनाए गए साधना कक्ष में ध्यान किया। सभी सदस्यों ने करीब आधे घंटे तक ध्यान, साधना में लाभ लिया। इंटरनेशनल कांफ्रेन्स ऑन इंडोलॉजी के इस दल में यूएसए के प्रो. डेविड फ्रावले, पौलेण्ड के डेनुटा स्लाविया, स्पेन के जेवीर रुइज, ब्राजील के मि. आस्कर आदि के उच्च स्तरीय सदस्यों के अलावा आइसीसीआर के अधिकारी शामिल हैं। इस अवसर पर जिलाधिकारी हरवंश ¨सह चुघ के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।


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