पुलिस के लिए मास्टर माइंड बना पहेली
संवाद सहयोगी, हरिद्वार: रुड़की में एटीएम लूट कांड में पुलिस दो दिशाओं में विवेचना कर रही है। इस मामले
संवाद सहयोगी, हरिद्वार: रुड़की में एटीएम लूट कांड में पुलिस दो दिशाओं में विवेचना कर रही है। इस मामले में पुलिस शक के आधार पर एटीएम मशीन निर्माता कंपनी और एसबीआइ एटीएम का रख-रखाव करने वाली कंपनी के लोगों के बारे में जानकारी जुटा रही है। एटीएम से रकम लूटने को अपराधियों ने जिस तरीके और तकनीक का इस्तेमाल किया। पुलिस का मानना है कि यह काम मशीन निर्माण कंपनी से जुड़े या उसकी देखरेख करने वाली कंपनी से जुड़ा व्यक्ति ही कर सकता है। लूटकांड का मास्टर माइंड बताया जा रहा आरोपी पर इन दोनों जगहों में से किसी एक का पूर्व कर्मी होने का संदेह व्यक्त किया जा रहा है।
एसएसपी स्वीटी अग्रवाल ने बताया कि एटीएम लूट में पकड़े गए अपराधियों और एटीएम का रख-रखाव की जिम्मेदारी संभाल रही कंपनी से मिली जानकारी और अब तक की पुलिस जांच के अनुसार लूट गई वास्तविक रकम एक करोड़ न होकर 34 से 37 लाख के आसपास है। उन्होंने कहा कि पहले दिन पकड़े गए लोगों ने कई तरह की भ्रामक जानकारी दी थी, जोकि बाद में पुलिस जांच में गलत निकली, एक करोड़ लूट वाली बात भी भ्रामक है, जैसी कि जानकारी मीडिया में आई। एटीएम लूटकांड के आरोपियों के झारखंड कनेक्शन की बात भी भ्रामक है। पकड़े गए आरोपियों से अब तक हुई पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस काम को कुल चार लोग मिलकर अंजाम देते थे। सबसे पहले गिरोह का मास्टर माइंड जोकि एक साफ्टवेयर एक्सपर्ट है, अपने को एटीएम मैकेनिक दर्शा एटीएम में प्रवेश कर 'डोंगल' या 'पेन ड्राइव' लगा एटीएम मशीन में अपना बनाया साफ्टवेयर लोड करता था। उसके बाद वह बाहर निकल आता था, उसके जाने के बाद ही उसका दूसरा साथी अंदर जाकर लोड साफ्टवेयर के अनुसार पासवर्ड या कोड मशीन में आपरेट करता था। यह काम करने के बाद यह भी एटीएम से बाहर निकल जाता था।
एसएसपी ने बताया कि एटीएम लूट कांड के आरोपियों से अब तक हुई पूछताछ के बाद देश के मुंबई-दिल्ली जैसी कई 'मेट्रों सिटि•ा' में उनके संपर्कों की बात भी सामने आई है। इस पहलू पर भी काम किया जा रहा है। इन शहरों की पुलिस से संपर्क कर इस तरह की घटनाओं के बारे में और उससे जुड़े लोगों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।
स्काईप से संपर्क
एटीएम लूट कांड मामले में मास्टर माइंड बताया जा रहा युवक अपने साथियों से फोन या रूबरू न तो मिलता था और न ही संपर्क करता था। वह उनसे केवल स्काईप एप पर ही बात करता और निर्देश देता था। इस मामले में पकड़े गए अपराधियों ने बताया कि उन्हें जो भी निर्देश मिले वह स्वाईप के जरिए ही मिलते थे। पुलिस अब उस स्काईप एप एड्रेस को क्रैक करने की कोशिश कर रही है, जिससे मास्टर माइंड के बारे में क्लू मिले और पुलिस उस तक पहुंच सके। हालांकि स्काईप के जरिए ऐसा होना आसान नहीं माना जा रहा है। इस मामले में टेक्निकल एक्सपर्ट की भी मदद ली जा रही है।