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मिल चलवाने को करना पड़ेगा आंदोलन

जागरण संवाददाता, रुड़की: पिछले साल के बकाया गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर ही किसान आंदोलन कर रहे हैं, ले

By Edited By: Published: Mon, 31 Aug 2015 12:59 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2015 12:59 AM (IST)
मिल चलवाने को करना पड़ेगा आंदोलन

जागरण संवाददाता, रुड़की: पिछले साल के बकाया गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर ही किसान आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन इस बार किसानों को चीनी मिलों को चलवाने के लिए भी आंदोलन का ही सहारा लेना पडे़गा। चीनी मिलें पेराई सत्र को लेकर गंभीर नहीं दिख रही हैं। इकबालपुर चीनी मिल ने तो मेंटीनेंस का कार्य भी शुरू नहीं किया है।

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हरिद्वार जिले में मुख्य रूप से किसान गन्ने की ही खेती करते हैं। जिले की तीन निजी चीनी मिलों के अलावा डोईवाला चीनी मिल को भी गन्ने की आपूर्ति की जाती है। इस साल भी करीब 48 हजार हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की फसल खड़ी हुई है। गन्ना किसान अब गन्ने की फसल को लेकर ¨चतित दिखाई दे रहे हैं। इसकी वजह यह है कि चीनी मिलें मौजूदा परिस्थितियों में चीनी मिलों को चलाने में आनाकानी कर रही हैं। लक्सर और लिब्बरहेड़ी चीनी मिल में तो मेंटीनेंस का थोड़ा कार्य शुरू भी हुआ है लेकिन इकबालपुर चीनी मिल नें मेंटीनेंस का कार्य तक शुरु नहीं किया है। चीनी मिल के अधिकारी ही मिल में ज्यादा समय नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में गन्ना किसानों को इस बार चीनी मिलों को चलवाने के लिए भी आंदोलन करना पड़ेगा। नाम न छापने की शर्त पर कई गन्ना प्रबंधकों का कहना है कि चीनी मिलें वैसे ही आर्थिक संकट से गुजर रही हैं। ऐसे में मौजूदा परिस्थितियों में यदि कोई बदलाव नहीं होता है तो चीनी मिलों को चला पाना मुश्किल होगा।

2009 में भी उत्पन्न हुई थी यह स्थिति

वर्ष 2009 में चीनी मिलों को चलवाने के लिये किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ता था, तब सही किसानों संगठनों ने एकजुट होकर दोनों हाइवे और रेल यातायात जाम कर दिया था, इसके बाद चीनी मिलों के पेराई सत्र शुरू करने पर निर्णय हुआ।

'वास्तव में इस बार किसान के सामने बड़ा संकट है, वह गन्ने की तैयार फसल को कहां लेकर जाए। अभी तक तो भुगतान के लिये लड़ाई लड़नी पड़ रही है, अब किसान को पूर्व की भांति मिलों को चलवाने के लिये सड़कों पर भी उतरना पड़ सकता है। सरकार भी इस दिशा में गंभीरता से नहीं सोच रही है।'

चौधरी गुलशन रोड राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तराखंड मोर्चा

'किसान और चीनी मिल दोनों पर ही संकट है। इस संकट के समाधान के लिए किसान और मिल प्रबंधकों को मिल बैठना होगा अन्यथा इस बार इकबालपुर चीनी मिल के चलने के आसार कम ही है। इससे किसानों को ही नुकसान होगा।'

चौधरी कटार ¨सह राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय किसान क्लब

'विभाग समय से चीनी मिलों को चलवाएगा। इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं। अगले माह चीनी मिलों के गन्ना रिजर्व क्षेत्र को लेकर भी बैठक होनी है। इसमें तय किया जाएगा कि किस चीनी मिल के कितने क्रय केंद्र स्थापित होंगे।'

डॉ. आनंद कुमार श्रीवास्तव गन्ना आयुक्त उत्तराखंड


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