फर्मों ने पूल बना नगर निगम को दिया झटका
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: होर्डिंग पॉलिसी के अंतर्गत टेंडर न डालना नगर निगम में पंजीकृत फर्मो की
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: होर्डिंग पॉलिसी के अंतर्गत टेंडर न डालना नगर निगम में पंजीकृत फर्मो की एक सोचीसमझी रणनीति रही। पंजीकृत फर्मों ने पूल बनाकर उत्तर प्रदेश एवं देहरादून की फर्म को भी टेंडर डालने से रोक दिया। इससे नगर निगम को लाखों रुपये का नुकसान हो गया है।
नगर निगम में 29 मई को होर्डिग का ठेका लेने के लिए टेंडर खुलने थे। इसके लिए आरक्षित धनराशि तीन करोड़ रखी गई थी। इस प्रक्रिया में नगर निगम में पंजीकृत दस फर्मो ने ही हिस्सा लेना था। इनमें दो फर्म गाजियाबाद एवं देहरादून की, जबकि बाकी आठ फर्म हरिद्वार की थी। निगम अधिकारियों को उम्मीद थी कि नगर निगम में पंजीकृत फर्मों के ठेका लेने के साथ ही नगर निगम की आय का हिस्सा आना शुरू हो जाएगा, लेकिन पंजीकृत दस फर्मो ने पूल बनाकर टेंडर न तो खरीदा और न ही डाला।
इसके अलावा, ठेका लेने में रूचि दिखा ही गाजियाबाद व देहरादून की फर्म को भी झांसे में लेकर टेंडर डालने से रोक दिया। इससे नगर निगम को करारा झटका लगा है। जानकारों की मानें तो फर्मों ने पहले तो पूल बनाकर टेंडर डालने पर विचार किया था, लेकिन टेंडर की तिथि नजदीक आने के बाद फर्मों ने टेंडर डालने से हाथ ही खड़े कर दिए। इसका कारण आरक्षित धनराशि का अधिक होना बताया। बताया गया है कि इस प्रक्रिया में भाग लेने के चलते प्रक्रिया दोबारा से होगी, जिसमें समय लगेगा।
ऐसे में नगर निगम सीमा क्षेत्र समेत राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे लगाए जा रहे होर्डिग का नगर निगम को भुगतान नहीं हो पाएगा। जितने दिन प्रक्रिया लटकी रहेगी, उतने ही होर्डिंग लगाने वाले लोगों को फायदा होगा। साथ ही नगर निगम आरक्षित धनराशि को भी कम करने पर विचार कर सकता है, जिससे होर्डिंग का ठेका लेने वालों को फायदा हो सकता है। इस पूरे प्रकरण में नगर निगम को हर माह 25 लाख रुपये का नुकसान होना तय है। दोबारा से टेंडर की प्रक्रिया के लिए नगर निगम बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव आएगा। इसके बाद सहमति बनेगी या नहीं, इस पर भी संशय है। मेयर मनोज गर्ग का कहना है कि नगर निगम अधिकारियों ने ठेका की अवधि भी एक साल रखी है, जबकि दो साल होनी चाहिए थी। अगर ठेका नहीं दिया गया तो आमदनी कहां से होगी। बताया कि अधिकारियों ने मेरे समक्ष कार्रवाई पूरी करने के बाद फाइल रखी थी, जबकि सुझाव नहीं लिए थे।
पहले क्यों नहीं किया आरक्षित धनराशि का विरोध
टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा न लेने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। एमएनए विप्रा त्रिवेदी ने बताया कि होर्डिंग का ठेका लेने के लिए मई में नगर निगम ने विज्ञप्ति निकाली थी। इस विज्ञप्ति को लेकर पंजीकृत फर्मों ने दरों को लेकर आपत्ति जताई थी। आपत्ति सुनने के दौरान आरक्षित धनराशि अधिक होने की बात नहीं की गई। आपत्ति बताने के बाद दोबारा से विज्ञप्ति जारी की गई। लेकिन टेंडर की प्रक्रिया में भाग न लेना कई सवालों को जन्म दे रहा है।