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मनरेगा में नहीं ले रहे दिलचस्पी

जागरण संवाददाता, रुड़की: राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत हरिद्वार जिले में श्रम

By Edited By: Published: Tue, 05 May 2015 05:25 PM (IST)Updated: Tue, 05 May 2015 05:25 PM (IST)
मनरेगा में नहीं ले रहे दिलचस्पी

जागरण संवाददाता, रुड़की: राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत हरिद्वार जिले में श्रमिक काम करना ही नहीं चाहते हैं।

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मनरेगा के तहत ग्रामीणों को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी मिलती है। पूरे जिले में ग्राम पंचायतों ने श्रमिकों को पंजीकृत करते हुए उनके जॉब कार्ड दिए। पिछले वर्ष की बात की जाए तो जिले में मनरेगा के तहत 1,32515 परिवार पंजीकृत हुए। जब ग्राम पंचायतों से काम मांगने की बारी आई तो कुल 14,249 परिवारों ने काम मांगा, वह भी 100 दिन के बजाय औसत 42 दिन का। अधिकारियों की मानें तो कई ग्राम पंचायतें तो ऐसी हैं, जिनमें एक दिन भी मनरेगा के तहत कार्य नहीं हो पाया है।

विकास कार्य हो रहे प्रभावित

विकास विभाग के अधिकारियों की मानें तो मनरेगा के तहत बजट की कोई कमी नहीं है। कार्य योजना बनाकर जितने भी बजट की डिमांड की जाती है, उतना बजट मिल जाता है। पिछले वर्ष की बात करें तो जिले में करीब बीस करोड़ रुपये के कार्यो को मनरेगा के तहत कार्य किए जाने का प्रस्ताव भेजा। इतना बजट भी मिला, लेकिन इसमें से भी केवल साढे़ सत्रह करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए हैं। श्रमिक कार्य की ज्यादा से ज्यादा डिमांड करें तो जिले में मनरेगा का बजट भी बढे़गा साथ ही विकास कार्यो में भी तेजी आएगी।

इस वजह से नहीं मिलते श्रमिक

हरिद्वार जिले में अब रोजगार की कोई कमी नहीं रह गई है। ऐसे में मनरेगा के तहत कार्य करने में श्रमिक दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। मनरेगा के तहत पंजीकृत श्रमिक महेन्द्र, यासीन ने बताया कि पहले तो ग्राम पंचायत से काम मांगने के लिए जाओ, उसके बाद कई औपचारिकता पूरी करने के बाद कार्य मिलता है, उसमें भी एक दिन की दिहाड़ी मात्र 161 है, जबकि गांव में ही किसी राज मिस्त्री के पास कार्य करने में ढाई सौ से तीन सौ रुपये की नगद दिहाड़ी मिल जा रही है। ऐसे में मनरेगा में कौन काम करेगा। सरकार को कम से कम दिहाड़ी दो सौ रुपये तो करनी ही चाहिए।

'यह सही है मनरेगा के तहत श्रमिक काम मांगने में दिलचस्पी कम दिखा रहे हैं। इसका नुकसान बजट को लेकर हो रहा है, कार्य की डिमांड के अनुसार ही बजट मिलता है, बजट कम आने से विकास कार्य भी प्रभावित हो रहा है। जिले में पिछले वर्ष औसत 42 दिन ही श्रमिकों ने कार्य किया।'

एसएस शर्मा जिला विकास अधिकारी हरिद्वार


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