मिलावट के खेल की दी जानकारी
जागरण संवाददाता, रुड़की: यूं तो मिलावट का खेल वर्ष भर चलता रहता है लेकिन पर्व त्योहारों और वेडिंग सीज
जागरण संवाददाता, रुड़की: यूं तो मिलावट का खेल वर्ष भर चलता रहता है लेकिन पर्व त्योहारों और वेडिंग सीजन में यह चरम पर पहुंच जाता है। उपभोक्ता जागरूक हों, तो इस पर काफी हद तक अंकुश लग सकता है।
मैथोडिस्ट गर्ल्स इंटर कॉलेज में शुक्रवार को आयोजित संगोष्ठी में एमए गृह विज्ञान अंतिम वर्ष की छात्राओं को खाद्य पदार्थो में मिलावट के प्रकार, उद्देश्य, मिलावट में प्रयुक्त होने वाली सामग्री के अलावा इस पर अंकुश लगाने संबंधी कानून की जानकारी दी गई। डॉ. अमिता श्रीवास्तव ने बताया कि दूध में पानी, मावा में मैदा और बेसन में केसरी दाल मिलाने समेत मिठाइयों को रंगीन बनाने को हानिकारक रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिक से अधिक मुनाफे की चाह में मिलावटखोर खाद्य पदार्थो में घटिया सामग्री के इस्तेमाल से भी बाज नहीं आते। ऐसे खाद्य पदार्थो के सेवन से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ ऐसे नुस्खे और टेस्ट भी हैं, जिससे मिलावट का पता लगाया जा सकता है। हाइड्रोक्लोरिक एसिड को दाल में डालने से यदि दाल का रंग गुलाबी हो तो इसका अर्थ है दाल में मिलावट है। देसी घी में भी इस एसिड के इस्तेमाल से रंग गुलाबी होने पर देसी घी में वनस्पति घी की मिलावट की पुष्टि होती है। इसी तरह बटर में एक बूंद आयोडीन डालने से रंग नीला हो तो इसका अर्थ है बटर में स्टार्च की मिलावट है। इस दौरान छात्राओं को फूड स्टैंडर्ड, मिस ब्रांडिंग, मिस लीडिंग समेत इससे संबंधित कानून की जानकारी दी। इस मौके पर प्रबंधक डॉ. अनुपमा वर्मा, मीरा पाहवा, कुमारी प्रीति, मोहसिना, दीपिका, मीनू, सोनल, रानी, मोनिका, अंशी, दीपा समेत बड़ी संख्या में छात्रा मौजूद थी।