पब्लिक स्कूलों को सरकारी फीस का इंतजार
जागरण संवाददाता, रुड़की: सरकार एवं विभाग की उदासीनता के चलते पब्लिक स्कूलों को तीन साल से शिक्षा अधिक
जागरण संवाददाता, रुड़की: सरकार एवं विभाग की उदासीनता के चलते पब्लिक स्कूलों को तीन साल से शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत किए दाखिलों की फीस का रुपया नहीं मिल पाया है। इससे पब्लिक स्कूल परेशान हैं। स्कूलों ने इस बाबत खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर तत्काल फीस उपलब्ध कराने की मांग की है।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत पब्लिक स्कूलों को पहली कक्षा 25 प्रतिशत सीट निर्धन वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होगी। इन सीटों पर होने वाले दाखिले की फीस बच्चों से वसूल नहीं की जाएगी, वरन सरकार ऐसे बच्चों की फीस जमा करेगी, लेकिन सत्र 2012-13 से लेकर अब तक सरकार की ओर से आरटीई के तहत किए दाखिले की फीस पब्लिक स्कूलों को नहीं दी गई है। अकेले रुड़की विकासखंड में 963 बच्चों की फीस दो साल से लंबित है। इस साल भी 324 दाखिले हो चुके हैं। नारसन एवं भगवानपुर ब्लॉक में भी करीब पांच सौ बच्चों की फीस लंबित पड़ी है। इस संबंध में पब्लिक स्कूलों ने खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर मांग की है कि उनकी वित्तीय स्थिति इतनी अच्छी नहीं है, तीन साल से छात्रों की फीस नहीं आ पाई है। ऐसे में स्कूल का संचालन करना मुश्किल हो रहा है। इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी रुड़की कुशला प्रसाद ने बताया कि कुछ स्कूलों की ओर से इस आशय का पत्र मिला है। इस बाबत उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया है।
'यह सही है कि आरटीई के अंतर्गत पढ़ने वाले बच्चों की फीस पब्लिक स्कूलों में जमा नहीं हो पाई थी, अब दो साल की फीस चुकता करने के लिए बजट मिल गया है। 20 फरवरी तक पब्लिक स्कूलों के खातों में फीस को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। सत्र 2014-15 की फीस भी जल्द आने की उम्मीद है।'
जगमोहन सोनी डीईओ बेसिक हरिद्वार