सभापति व उपसभापति पद को नहीं खोले पत्ते
संवाद सहयोगी, रुड़की: गन्ना समितियों के सभापति व उपसभापति पदों पर किसी भी खेमे ने अपने पत्ते नहीं खोल
संवाद सहयोगी, रुड़की: गन्ना समितियों के सभापति व उपसभापति पदों पर किसी भी खेमे ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सभी एक दूसरे की चुनावी तैयारियों को देखते हुए अपनी रणनीति बना रहे हैं। वहीं शासन स्तर से नामित सदस्यों में से एक-एक को ही मतदान में हिस्सा ले सकेंगे।
इकबालपुर व लिब्बरहेड़ी गन्ना समिति के सभापति व उपसभापति पद पर काबिज होने को लेकर खेमेवार भागदौड़ हो रही है। वहीं अपने-अपने पक्ष के निर्वाचित डायरेक्टरों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है। लिहाजा डायरेक्टरों से फिलहाल उनके परिजनों से बातचीत नहीं होने दी जा रही है। किसी भी खेमे ने सभापति व उप सभापति पद के लिए अपने पत्ते भी नहीं खोले हैं। जिसके चलते दोनों ही समितियों के सभापति व उपसभापति कौन होंगे। इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में कयासबाजी मात्र हो रही है।
एक-एक ही कर ले सकेंगे मतदान
सहायक गन्ना आयुक्त हरिद्वार अशोक कुमार चौहान ने बताया है कि शासन स्तर से गन्ना समितियों के लिए जो दो-दो डायरेक्टर नामित किए हैं। उनमें से सभापति व उप सभापति के चुनाव में एक-एक ही भाग ले सकेगा। उन्होंने बताया कि इकबालपुर समिति के सभापति व उपसभापति के चुनाव में नामित डायरेक्टर अतुल त्यागी, लिब्बरहेड़ी समिति के सभापति व उपसभापति के चुनाव में हर्षवर्धन, लक्सर समिति के सभापति व उपसभापति के चुनाव में सुखपाल सिंह व ज्वालापुर समिति सभापति व उपसभापति के चुनाव में विशेष कुमार ही मतदान कर सकेंगे। अन्य नामित सदस्य मात्र संचालक बोर्ड के सदस्य रहेंगे। एक-एक नामित सदस्यों के मतदान में भाग लिए जाने संबंधी शासनादेश चुनाव अधिकारियों को भेज दिए हैं।
वंचित करना सोची समझी रणनीति का हिस्सा
एक-एक सदस्य को वोटिंग का अधिकार देने के पीछे चुनाव की बाजी अपने हक में किए जाने की है। कांग्रेस के रणनीतिकारों ने डायरेक्टर के चुनाव में समर्थन लेने को जिन डेलीगेट्स का समर्थन लिया था उन्हें डायरेक्टर नामित कराकर खुश तो कर दिया। कहीं वह सभापति व उपसभापति पद के चुनाव में ऐनवक्त पर गच्चा न दे दें। इसीलिए उनको मतदान के अधिकार से वंचित करा दिया है। हालांकि गन्ने की राजनीति के जानकारों का यह भी कहना है कि समिति पर दो-दो डायरेक्टर नामित करने का मामला कहीं हाईकोर्ट में न चला जाए। इसीलिए एक-एक को ही चुनाव में भाग लेने का अधिकार दिया है। पहले कभी भी दो नामित डायरेक्टरों ने चुनाव में भाग नहीं लिया।