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मीजल्स-रूबेला के खिलाफ जंग में दून, हरिद्वार फिसड्डी

प्रदेश की अस्थाई राजधानी देहरादून और हरिद्वार खसरा रूबेला (एमआर) टीकाकरण अभियान में फिसड्डी साबित हुए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 17 Nov 2017 04:03 PM (IST)Updated: Fri, 17 Nov 2017 08:45 PM (IST)
मीजल्स-रूबेला के खिलाफ जंग में दून, हरिद्वार फिसड्डी

देहरादून, [जेएनएन]: जिस राजधानी से पूरे प्रदेश में व्यवस्थाओं का संचालन किया जाता है, वहीं अगर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने वाले अनिवार्य कार्यक्रम पिछड़ने लगें तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा। हम बात कर रहे हैं खसरा रूबेला (एमआर) टीकाकरण अभियान की। प्रदेश की अस्थाई राजधानी देहरादून और हरिद्वार इसमें फिसड्डी साबित हुए हैं। 

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हरिद्वार जिले में लक्षित बच्चों में से अभी केवल 17.27 प्रतिशत टीकाकरण किया गया है। जबकि देहरादून जिले में यह आंकड़ा केवल 34.5 है। इसकी तुलना में बहुत सीमित सुविधाओं वाले पहाड़ी जिलों का प्रदर्शन अच्छा है। अल्मोड़ा में लक्षित बच्चों में से 95.41 प्रतिशत टीका लगाया गया है। जबकि बागेश्वर और चमोली जिले में 89.10 और 86.03 प्रतिशत बच्चों ने एमआर टीका लगवा लिया है। सूत्रों के अनुसार विभाग अभी तक वांछित स्तर तक सफल न होने के कारण अभियान का विस्तार करने की योजना बना रहा है।

दरअसल, हरिद्वार जिले में एक व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम मिशन इंद्रधनुष पहले से संचालित है। अधिकारियों का तर्क है कि इसका कहीं न कहीं एमआर टीकाकरण पर असर पड़ा है, जबकि देहरादून में एएनएम व आशाओं की हड़ताल का असर अभियान पर पड़ा है। राहत की इसके अलावा प्रारंभिक चरण में देहरादून के कई निजी स्कूलों ने भी टीकाकरण से दूरी बना ली थी। बता दें कि राजधानी में लगभग 250 एएनएम कार्यकर्ता हैं और उनके कार्य बहिष्कार से अभियान पर इसका असर दिखा रहा है। एएनएम एसीपी की मांग कर रही हैं।

राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. भारती राणा ने कहा कि मिशन इंद्रधनुष की वजह से हरिद्वार में एमआर अभियान स्थगित रहा और यह अगले सप्ताह से शुरू होगा। उन्होंने स्वीकार किया कि एएनएम की हड़ताल ने देहरादून में अभियान को प्रभावित किया है। उन्होंने विश्वास जताया कि अभियान राज्य के सभी हिस्सों में पूर्ण सफल होगा। खसरा रूबेला टीकाकरण अभियान 30 अक्टूबर को बड़े पैमाने पर शुरू किया गया था।

जिसके तहत राज्य के 13 जिलों में 2,835,658 बच्चों को टीका लगना है। लक्षित बच्चों में से 1416710 को टीका लगाया गया है, जो लक्ष्य का लगभग 50 प्रतिशत है। रूबेला को आमतौर पर जर्मन खसरा के रूप में जाना जाता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं में ऐसा होने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। नया एमआर टीका खसरे के खिलाफ भी रक्षा करता है। खसरे के कारण 36 प्रतिशत मौत भारत में होती हैं। 

जिला-------------------टीकाकरण (प्रतिशत)

अल्मोड़ा-------------------95.41

बागेश्वर-------------------89.10

चमोली--------------------86.03

चंपावत-------------------76.82

देहरादून-------------------34.53

हरिद्वार------------------17.27

नैनीताल------------------60.07

पौड़ी-----------------------65.93

पिथौरागढ़----------------62.89

रुद्रप्रयाग------------------92.11

टिहरी----------------------71.56

ऊधमसिंहनगर-----------49.01

उत्तरकाशी----------------78.22

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