खतरे की जद में नीलकंठ मंदिर
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: मणिकूट, ब्रह्माकूट व विष्णुकूट पर्वतों की तलहटी में स्थित प्राचीन श्री नीलकंठ महादेव मंदिर भी चारों ओर से हो रहे भूस्खलन के कारण खतरे की जद में आ गया है।
यहां नीलकंठ महादेव मंदिर मधुमति व पंकजा नदी के बीच में स्थित है। चौदह व पंद्रह अगस्त को हुई अतिवृष्टि के कारण यह दोनों नदियां उफान पर आ गई थी। इससे मंदिर व आसपास की कई दुकानों में पानी भर गया था। यह प्राचीन मंदिर मणिकूट, ब्रह्माकूट व विष्णुकूट पर्वत की तलहटी में स्थित है, जबकि तीनों पर्वतों से लगातार भूस्खलन जारी है। मणिकूट पर्वत पर तो मंदिर से तीन सौ मीटर के दायरे में भारी भूस्खलन हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन पर्वतों की पहाड़ियां पक्की चट्टानों से बनी है और उन्होंने कभी यहां भूस्खलन होते नहीं देखा। सुनहरी धार से नीलकंठ की ओर करीब डेढ़ किलोमीटर की दरार तीन वर्ष पूर्व ही बन गई थी। इस वर्ष यह दरार और भी बढ़ गई है। ऐसे में इस बार की वर्षा से हो रहे भूस्खलन ने लोगों को दहशत में डाल दिया है। मंदिर के लिए भी यह भूस्खलन खतरे की घंटी से कम नहीं है। नीलकंठ व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष सत्यपाल सिंह पयाल ने बताया कि प्रशासन को इस क्षेत्र का सर्वे कर भूस्खलन रोकने के उपाय करने चाहिए, ताकि इस प्राचीन मंदिर के अस्तित्व पर कोई आंच न आए।