सुमिता विजयन ने केदारनाथ में सबसे पहले उतारी थी निम की टीम
वैष्णोदेवी हेलीकॉप्टर हादसे में हताहत पायलट सुमिता विजयन का केदारनाथ आपदा के बाद पुनर्निर्माण कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान रहा। पहली बार उन्होंने ही नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की टीम को केदारनाथ की धरती पर उतारा।
देहरादून। वैष्णोदेवी हेलीकॉप्टर हादसे में हताहत पायलट सुमिता विजयन का केदारनाथ आपदा के बाद पुनर्निर्माण कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान रहा। पहली बार उन्होंने ही नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) की टीम को केदारनाथ की धरती पर उतारा।
जून 2013 में केदारनाथ में कुदरत के कहर ने सबकुछ तहस-नहस कर दिया था। इस त्रासदी में हजारों लोगों को जान गंवानी पडी तो केदारघाटी की आर्थिकी की रीढ भी टूट गई। राहत कार्यों के बाद बारी थी पुननिर्माण व पुनर्वास की। आपदा से उबरने की। जीवन को फिर से पटरी पर लाने की।
सरकार ने केदारनाथ में इसका जिम्मा सौंपा नेहरू पर्वतारोहण संस्थान यानी निम को। लेकिन, 2014 में परिस्थितियां खासी विकट थीं। यात्रा को लेकर तैयारियां करनी थीं। इस सिलसिले में मार्च 2014 में निम की टीम को केदारनाथ में उतारना बडी चुनौती थी।
जब सभी पायलटों ने निम की टीम को हेलीकॉप्टर अथवा जहाज से केदारनाथ में उतारने में हाथ खडे कर दिए तो एयर फोर्स की पायलट रही सुमिता विजयन आगे आई। मार्च के पहले हफ्ते में जोरदार बर्फबारी के दौरान ही विजयन छोटे जहाज बी-3 से निम की टीम को लेकर निकल पडी केदारनाथ।
वहां का नजारा रौंगटे खडे कर देने वाला था। समूचा केदारनाथ बर्फ से ढका था। साथ ही जोरदार बर्फबारी भी हो रही थी। सुमिता ने हिम्मत नहीं हारी और बर्फबारी के दौरान ही जहाज को केदारनाथ में होबर कराया। जमीन से करीब 10 फुट की ऊंचाई पर जहाज को स्थित कर उन्होंने निम की टीम को नीचे उतारा।
उस दौरान निम के सदस्यों ने सुमिता की इस जांबाजी के लिए उसे सैल्यूट किया। साथ ही सुमिता ने भी निम के सदस्यों के जज्बे और हौसले को सलाम किया।
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