गढ़वाल, हल्द्वानी,,, कांधे पर बस्ता और हथेली पर जान
प्रस्तावित सुकांत ममगाई, देहरादून:
एक हाथ में किताबें हैं और एक हाथ में जान। यह है जीर्णशीर्ण भवनों में पढ़ने को मजबूर नौनिहालों का हाल। इनकी सुरक्षा को लेकर सरकार कितनी संजीदा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले साल आपदा में क्षतिग्रस्त सरकारी स्कूलों की अभी तक मरम्मत नहीं हो पाई। यह अलग बात है कि विभागीय अधिकारी जल्द ही विद्यालयों की मरम्मत और पुनर्निर्माण का दावा कर रहे हैं।
पिछले वर्ष आपदा में भारी संख्या में राज्य के विद्यालयों को नुकसान पहुंचा था। कुछ पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए, तो कुछ आंशिक रूप से। लेकिन, आपदा के एक साल भी व्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकी है। आपदा प्रभावित जिलों के अलावा अन्य जनपदों की भी स्थिति अच्छी नहीं है। राज्य में एकाध नहीं, कई सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हैं। हालत यह है स्कूल में कदम रखते ही शिक्षकों व बच्चों की सांसें अटक जाती हैं। ऐसा नहीं कि सरकार या विभाग को इस बात का इल्म नहीं है। जिम्मेदार जानते हैं कि यह 'खतरा' कभी भी किसी की जान ले सकता है, लेकिन फिर भी अंजान बने हुए हैं। अधिकारी भी शायद कामचलाऊ व्यवस्था को ही नियति मान चुके हैं। कहीं जिम्मेदारी समझी भी गई तो काम कछुआ गति से चल रहा है। ऐसा बजट की कमी की वजह से नहीं बल्कि संवेदशनशीलता की कमी से है। इससे हर वक्त यह डर सताता रहता है कि सरकारी सुस्ती कहीं बच्चों के लिए आफत न बन जाए।
फाइलों में ही अटके हैं काम
विभागीय रिपोर्ट के अनुसार प्राथमिक स्तर के कुल 131, उच्च प्राथमिक स्तर के 28 और माध्यमिक स्तर के चार विद्यालय पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। वहीं 440 प्राथमिक, 137 उच्च प्राथमिक और तकरीबन 200 माध्यमिक विद्यालय आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हैं। विभाग ने इनके पुनर्निर्माण और मरम्मत के लिए कुल 3594.31 लाख रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें 2200.82 लाख रुपये की रकम पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त भवनों के पुनर्निर्माण और मरम्मत के लिए, जबकि 1393.49 लाख की धनराशि आंशिक क्षतिग्रस्त भवनों की मरम्मत के लिए मांगी गई है। यह रकम सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्वीकृत हुई है। माध्यमिक के पूरी तरह क्षतिग्रस्त चार विद्यालयों का विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है। वहीं 48 अन्य आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त विद्यालयों के पुनर्निर्माण के लिए एनडीआरएफ को बजट आवंटित किया गया है। शेष विद्यालयों की मरम्मत के लिए विभागीय स्तर पर प्रस्ताव भेजा गया है, जिसपर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।
पूर्ण क्षतिग्रस्त भवन
जनपद-प्राथमिक-उच्च प्राथमिक
अल्मोड़ा-03-00
बागेश्वर-05-00
चमोली-43-06
चंपावत-02-00
देहरादून-07-02
हरिद्वार-00-01
नैनीताल-01-01
पिथौैरागढ़-05-00
रूद्रप्रयाग-07-04
टिहरी-19-05
ऊधमसिंहनगर-03-01
उत्तरकाशी-36-08
आंशिक क्षतिग्रस्त भवन
जनपद-प्राथमिक-उच्च प्राथमिक
अल्मोड़ा-42-14
बागेश्वर-02-01
चमोली-99-31
चंपावत-06-02
देहरादून-28-17
हरिद्वार-48-08
नैनीताल-15-01
पौड़ी-09-04
पिथौरागढ़-12-04
रुद्रप्रयाग-57-13
टिहरी-75-28
ऊधमसिंहनगर-10-01
उत्तरकाशी-37-13
माध्यमिक विद्यालय
पूर्ण क्षतिग्रस्त-04
आंशिक क्षतिग्रस्त-200
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सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत विद्यालयों के पुनर्निर्माण और मरम्मत के लिए धनराशि स्वीकृत की गई है। बच्चों की सुरक्षा को लेकर विभाग संजीदा है।
-बीपी मैंदोला, राज्य परियोजना समन्वयक, एसएसए
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माध्यमिक स्तर के पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों का पुनर्निर्माण कर लिया गया है। आंशिक क्षतिग्रस्त विद्यालयों की मरम्मत के लिए एनडीआरएफ को बजट आवंटित हुआ है।
-गजेंद्र सिंह सोन, उप निदेशक नियोजन