43 दिन जेल में रहने के बाद रिहा हुई रूबी
लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी मसूरी में फर्जी तरीके से रहने की आरोपी रूबी चौधरी सुद्धोवाला जेल से रिहा हो गई। उसकी जमानत शनिवार को मंजूर हुई थी।
देहरादून। लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी मसूरी में फर्जी तरीके से रहने की आरोपी रूबी चौधरी सुद्धोवाला जेल से रिहा हो गई। उसकी जमानत शनिवार को मंजूर हुई थी।
रविवार सुबह करीब साढ़े सात बजे रूबी के पति वीरेंद्र मलिक उसे अपने घर ले गए। वह पति के साथ ससुराल भट्टा परसोल गांव नोएडा जाएगी। जेल से बाहर निकलते समय रूबी के चेहरे पर साफ खुशी झलक रही थी। उसने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया पर उसे पूरा विश्वास है। 43 दिन जेल में रहने के बाद रूबी को शनिवार को जिला जज की अदालत से जमानत मिली थी।
अदालत में रूबी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि लाल बहादुर प्रशासनिक अकादमी में रूबी के रहने का क्या मकसद था, इसे पुलिस साबित नहीं कर पाई। साथ ही उसने वहां से कोई लाभ अर्जित नहीं किया। इस तर्क के आधार पर जिला जज राम दत्त पालिवाल ने रूबी की जमानत याचिका को मंजूर किया था।
गौरतलब है कि 31 मार्च को एलबीएसएए प्रशासन की शिकायत पर रूबी चौधरी निवासी ग्राम-कुटबी, मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) के खिलाफ मसूरी कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था। रूबी पर आरोप था की वह छह माह तक अकादमी में फर्जी कागजातों के आधार पर रही।
इसके बाद रूबी ने मीडिया के सामने आकर खुद पर लगाए गए आरोपों को झूठा बताते हुए अकादमी प्रशासन व उपनिदेशक पर आरोप लगाए थे। इस मामले में पुलिस मुख्यालय की ओर से दो अप्रैल को विशेष जांच दाल का गठन किया गया। प्राथमिक जांच के बाद तीन अप्रैल को रूबी को गिरफ्तार कर लिया गया।
रूबी प्रकरण की जांच के लिए पुलिस मुख्यालय से एसआइटी (इस्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम) का गठन किया गया था। इस प्रकरण को हाईप्रोफाइल बताते हुए पुलिस ने 38 दिन की जांच के बाद मामले से हाथ खींच लिए थे और सीबीआइ जांच की संस्तुति की थी। इस फर्जीवाड़े की सीबीआइ जांच कराने से मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इन्कार कर दिया था। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने सीबीआइ जांच के आग्रह की फाइल पुलिस हेड क्वार्टर को वापस कर दी गई।