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राजाजी पार्क हुआ हार्इटेक, तीसरी आंख से होगी हाथियों की निगहबानी

राजाजी पार्क अब हाथियों की निगहबानी के लिए कैमरे और सेंसर का इस्तेमाल करेगा। रेल ट्रैक पर होने वाले हादसों को रोकने के लिए राजाजी प्रशासन ने ये फैसला लिया है।

By raksha.panthariEdited By: Published: Sat, 23 Sep 2017 01:23 PM (IST)Updated: Sat, 23 Sep 2017 10:39 PM (IST)
राजाजी पार्क हुआ हार्इटेक, तीसरी आंख से होगी हाथियों की निगहबानी

रायवाला (देहरादून), [दीपक जोशी]: रेल ट्रैक पर होने वाले हादसों को रोकने के लिए राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क प्रशासन ने हाइटेक निगहबानी की तैयारी शुरू कर दी है। अब पार्क क्षेत्र से गुजरने वाली रेलवे लाइन पर कैमरे और सेंसर के जरिए नजर रखी जाएगी। इसके तहत हरिद्वार-दून रेल ट्रैक पर कैमरे लगाने की तैयारी चल रही है। शुरुआत में प्रायोगिक तौर पर नौ जगह कैमरे लगाए गए हैं, जो कि रेल ट्रैक से गुजरने वाले हाथियों पर नजर रखेंगे। प्रयोग सफल रहा तो हाथियों की सुरक्षा और ट्रैक पर होने वाले हादसों को रोकने के लिए यह तरीका सर्वाधिक उपयोगी साबित हो सकता है। 

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दअसल, हरिद्वार-देहरादून रेल ट्रैक पर कांसरो के पास नौ जगह उच्च क्षमता के कैमरे लगाए गए। सोलर सिस्टम से जुड़े यह कैमरे हर मौसम में रात-दिन काम करेंगे। रेलवे के पोल पर यह कैमरे इस हिसाब से लगाए गए हैं कि ट्रैक पर आए हाथियों की सूचना तत्काल रेलवे व पार्क के नियंत्रण कक्ष को मिल सके। अन्य छोटे जानवरों की आवाजाही इनकी पकड़ में नहीं आएगी। कैमरों के बारे में रेलवे व पार्क प्रशासन के बीच पहले ही सहमति बन चुकी है। 

फिलहाल कांसरो के पास नौ यूनिट लगाई गई हैं और इस प्रयोग की सफलता के बाद पूरे ट्रैक पर इस तरह के कैमरे लगाए जाएंगे। हालांकि इस बारे में अभी पार्क के अधिकारियों ने कोई जानकारी नहीं दी है। वहीं, मुरादाबाद रेल मंडल के डीआरएम एके सिंघल का कहना है कि कैमरे लगने से निश्चित तौर पर पर हादसों में कमी आएगी। यह वन्य जीव व इंसान दोनों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण पहल है। 

बेहद संवेदनशील है क्षेत्र 

हरिद्वार-दून रेल ट्रैक पर मोतीचूर से लेकर कांसरो तक का क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। परंपरागत गलियारा होने की वजह से यहां वन्य जीवों की आवाजाही अधिक है। लेकिन, उनकी इस स्वच्छंद आवाजाही में रेल ट्रैक सबसे बड़ी बाधा है। ऐसे में कई बार हादसे भी हो जाते हैं। बीते वर्ष 15 अक्टूबर को रायवाला के पास ट्रेन से टकराकर एक मादा हाथी की मौत हो गई थी। जबकि, इस वर्ष नौ मार्च को भी मोतीचूर के पास एक हाथी ट्रेन की चपेट में आने से जख्मी हुआ। पार्क बनने से लेकर अब तक इस ट्रैक पर 25 हाथियों की मौत ट्रेन से टकराने की वजह से हुई है। 

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