यूजीसी के आदेश से सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता, जानिए
विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में गुणवत्तापरक शिक्षा को लेकर यूजीसी ने अहम फैसला लिया है। इस संबंध में यूजीसी के आदेश का पालन होने से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।
देहरादून, [जेएनएन]: विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में गुणवत्तापरक शिक्षा को लेकर यूजीसी ने अहम फैसला लिया है। इस संबंध में यूजीसी के आदेश का पालन होने से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।
इसके तहत अब लेक्चरर-रीडर और प्रोफेसरों को नई नौकरी, प्रमोशन पाने या प्राचार्य बनने के लिए सारे रिसर्च पेपर अंग्रेजी भाषा में ही प्रकाशित करने होंगे। इस फैसले के बाद शिक्षकों को आधुनिक रिसर्च के लिए ईमानदारी से काम करना पड़ेगा। तय जर्नल्स में पेपर पब्लिकेशन के लिए रिसर्च में ज्यादा समय देना होगा।
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इसका फायदा उन हजारों छात्रों को भी मिलेगा जो संबंधित प्रोफेसर के मार्गदर्शन में पीएचडी करते हैं। वहीं यूनिवर्सिटी और कॉलेज को नैक से मिलने वाली ग्रेड पर भी सीधा असर होगा। ए ग्रेड के लिए सबसे ज्यादा अंक रिसर्च के लिए हैं।
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) लगातार कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर गंभीर बनी हुई है। इसी को लेकर आयोग समय-समय पर नियमों में बदलाव करता रहा है। इसी क्रम में अब उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ा रहे लेक्चरर और प्रोफेसर के लिए नई नौकरी, प्रमोशन या फिर प्राचार्य पद के लिए दावेदारी करने के लिए कड़ा नियम लागू किया है।
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नियमानुसार अब शिक्षकों को अपने सारे रिसर्च पेपर अंग्रेजी भाषा में ही प्रकाशित कराने होंगे। इतना ही नहीं यूजीसी ने 38,653 हाई स्टैंडर्ड जर्नल की सूची भी जारी की है। शिक्षकों को सूची में दिए गए जर्नलों में ही रिसर्च पेपर पब्लिश कराने होंगे।
राज्य की बात करें तो यहां इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और अन्य सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में यह नियम लागू होगा। नियमों को लेकर यूजीसी ने साफ कहा कि अब कॉलेज शिक्षकों को ऐकेडमिक परफॉर्मेंस इंडिकेटर, कॅरियर प्रमोशन और नौकरी के लिए इस नियम से ही रिसर्च करना होगी। ऐसे में आने वाले दिनों में मौजूदा कॉलेजों में पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए प्रोमोशन आदि में समस्या का सामना करना पड़ेगा।
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नहीं चलेगी कामचलाऊ व्यवस्था
वर्तमान में शिक्षक महज नियम पूरा करने के लिए कहीं भी जर्नल में अपने पेपर पब्लिश करा देते थे। इसके अलावा अभी तक अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता भी नहीं थी। अब कामचलाऊ व्यवस्था चलने वाली नहीं है।
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नहीं हो सकेगा खेल
यूजीसी के इस नियम का सबसे ज्यादा फायदा मौजूदा और भविष्य के रिसर्च स्कॉलर को होगा। अब शिक्षकों को तय मानकों पर ही रिसर्च पेपर पब्लिश कराने होंगे, यानी किसी भी प्रकार का कोई खेल करना अब संभव नहीं होगा।
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नहीं होगी रिसर्च में गड़बड़ी
दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके जैन के मुताबिक नए नियम लागू होने के बाद रिसर्च में गड़बड़ी नहीं होगी। इसके अलावा यह रिसर्च एंड एजुकेशन के क्षेत्र में गुणवत्ता लाने का काम करेगा।
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