Move to Jagran APP

यहां गंवई अंदाज में पालतू हाथियों के नाम, चौंक जाएंगे आप

राजाजी व कार्बेट पार्क में पालतू हाथियों के नाम ठेठ गांव-देहात के अंदाज में रखे गए हैं। नाम इस तरह से रखे जाते हैं कि वे तुरंत जुबां पर चढ़ जाएं।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 01 Aug 2017 10:50 AM (IST)Updated: Tue, 01 Aug 2017 10:39 PM (IST)
यहां गंवई अंदाज में पालतू हाथियों के नाम, चौंक जाएंगे आप
यहां गंवई अंदाज में पालतू हाथियों के नाम, चौंक जाएंगे आप

देहरादून, [केदार दत्त]: राजाजी को 'राधा,, 'रंगीली', 'राजा' प्रिय हैं तो कार्बेट की 'आशा', 'अलबेली', 'पवनपुरी', 'भीष्मा', 'गंगा' व 'राम' की बात ही निराली है। लोकजीवन से जुड़े इन नामों को सुनते ही गांव-देहात का परिदृश्य आंखों में तैरने लगता है। शायद यही भाव जताने के लिए उत्तराखंड के दो प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों कार्बेट और राजाजी नेशनल पार्क में सेवाएं दे रहे पालतू हाथियों को यह संबोधन दिए गए हैं। माटी की महक वाले ये नाम कुदरत से अंतरंगता का अहसास कराने के साथ ही पार्कों में आने वाले सैलानियों के मनो-मस्तिष्क पर गहरे तक अंकित हो जाते हैं।

loksabha election banner

विश्व प्रसिद्ध कार्बेट और राजाजी नेशनल पार्क में पालतू हाथियों की तादाद 21 है। राजाजी में छह तो कार्बेट के पास पालतू हाथियों की संख्या 15 है। कार्बेट की सीमा से लगे निजी सैरगाहों में रह रहे 10 हाथी निजी क्षेत्र के हैं। दोनों पार्कों की सैर को आने वाले सैलानी इन हाथियों की सवारी का आनंद लेना कतई नहीं भूलते। सबसे अधिक आकर्षित करते हैं इनके ठेठ गंवई अंदाज में रखे गए नाम।

सैलानियों का जंगल से साक्षात्कार कराने वाले इन हाथियों के नाम में माटी की खुशबू के साथ ही प्रकृति से अपनेपन का भाव झलकता है। संभवत: इसीलिए इनके नाम ठेठ गांव-देहात के अंदाज में रखे गए हैं। न केवल पार्क प्रशासन, बल्कि निजी क्षेत्र के स्वामित्व वाले हाथियों का नामकरण भी इसी प्रकार किया गया है। 

कार्बेट पार्क के निदेशक सुरेंद्र मेहरा बताते हैं कि पालतू हाथियों के नाम इस तरह से रखे जाते हैं कि वे तुरंत जुबां पर चढ़ जाएं। कुछ नामकरण इनके स्वभाव के अनुरूप भी किए गए हैं। कार्बेट की जिस पालतू हथिनी को 'पवनपुरी' नाम दिया गया है, वह बहुत तेज चलती है।

निगहबानी में भी अहम भूमिका

दोनों ही राष्ट्रीय पार्कों के हाथी न सिर्फ सैलानियों को सैर कराते हैं, बल्कि निगहबानी में भी सेवाएं देते हैं। असल में मानसून सीजन में 15 जून से 15 नवंबर तक पार्क सैलानियों के लिए बंद रहते हैं। इस दरम्यान नदी-नालों के उफान के चलते जंगल की निगहबानी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होती। ऐसे में इन्हीं पालूत हाथियों पर सवार होकर वनकर्मी निगहबानी करते हैं।

पार्कों में पालतू हाथी

राजाजी नेशनल पार्क :- 'राधा', 'रंगीली', 'राजा', 'रानी', 'जूही', 'जॉनी'।

कार्बेट पार्क :-'आशा', 'अलबेली', 'सोनाकली', 'गोमती', 'पवनपुरी', 'लछमा', 'भीष्मा',  'गजराज', 'तुंगा', 'शिवगंगे', 'कनचंभा', 'करना', 'कपिला', 'गंगा', 'राम'।

कार्बेट से लगे निजी सैरगाहों के हाथी :-'कलीना', 'लक्ष्मी', 'परमा', 'गुलाबो', 'चंचल', 'लछमी', 'रानी', 'मौनीमाला', 'फूलमाला' व 'पदुमी'।

बहुत याद आती है 'अरुंधति'

राष्ट्रीय पार्कों की सैर कराने वाले पालतू हाथियों की श्रृंखला में 'अरुंधति' पर्यटकों के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय रही है। राजाजी नेशनल पार्क में डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक चीला रेंज में अपनी सेवाएं देने के बाद यह हथिनी दो अक्टूबर 2007 में दुनिया से रुखसत हो गई। पर, उसकी यादें आज भी न केवल विभागीय कर्मियों, बल्कि पर्यटकों के दिलों में भी ताजा हैं। चीला पहुंचने वाले पर्यटक 'अरुंधति' को ढूंढते हैं। पार्क प्रशासन ने वहां स्मारक बनवाया है, जिसमें बड़ का एक पेड़ लगाकर उसकी यादें संजोये रखने का प्रयास किया गया है।

यह भी पढ़ें: गांव में घुसे हाथी ने तोड़ी बाउंड्री वॉल, लोगों में दहशत

यह भी पढ़ें:उत्‍तराखंड में विश्व बैंक की मदद से थमेगा मानव-वन्यजीव संघर्ष

यह भी पढ़ें: टिहरी झील ने बदली वन्य जीवन की धारा, होगा अध्ययन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.