एक बिस्तर पर दो महिलाएं, संक्रमण का खतरा
देहरादून के दून महिला अस्पताल में प्रसव उपरांत महिलाओं को बेड तक नसीब नहीं हो रहा। हद ये कि अस्पताल में एक बेड पर दो मरीज भर्ती किए जा रहे हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: राज्य में एक तरफ टेली-रेडियोलॉजी और ऑनलाइन अपॉइंटमेंट जैसी व्यवस्था लागू की जा रही है तो दूसरी तरफ दून महिला अस्पताल में प्रसव उपरांत महिलाओं को बेड तक नसीब नहीं हो रहा। हद ये कि अस्पताल में एक बेड पर दो मरीज भर्ती किए जा रहे हैं।
महिला को गर्भावस्था के दौरान तो देखभाल की जरूरत होती ही है, प्रसव के बाद भी उसे काफी संभलकर रहना पड़ता है। प्रसव के बाद संक्रमण होने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है। मगर प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सालय दून मेडिकल कॉलेज की महिला विंग में स्वास्थ्य सेवाओं का अमानवीय चेहरा दिखाई पड़ता है।
यहां प्रसव उपरांत एक बेड पर दो-दो महिलाओं को लिटाया जा रहा है। नवजात शिशुओं के साथ एक बिस्तर पर दो-दो महिलाएं होने से वह करवट भी नहीं ले पातीं। तीमारदार भी परेशान हैं कि उनके परिवार की महिला को प्रसव के बाद अन्य किसी रोग का सामना न करना पड़ जाए। उनका कहना है कि सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की बात तो करती है, लेकिन मरीजों की तादाद के लिहाज से सुविधाएं मुहैया नहीं करवाती।
बेड की कमी
महिला अस्पताल पर मरीजों का अत्यधिक दबाव रहता है। यहां न केवल दून, बल्कि पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों व उत्तर प्रदेश और हिमाचल के सीमावर्ती इलाकों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। अस्पताल में ओपीडी ही तकरीबन 350-400 के बीच रहती है। प्रतिदिन करीब 30-35 डिलिवरी होती हैं, जिनमें 10-15 सिजेरियन होते हैं। अब यह अस्पताल राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय का हिस्सा बन गया है।
मेडिकल कॉलेज बन जाने के बाद स्त्री एवं प्रसूति रोग के हिस्से कम बेड आए हैं। इस स्थिति में गर्भवती महिलाओं को मुसीबत झेलनी पड़ सकती है। दिक्कत यह कि जिला अस्पताल को लेकर भी स्वास्थ्य विभाग अभी हवा में ही हाथ-पांव मार रहा है।
गर्मी और उमस से बुरा हाल
महिला अस्पताल में प्रसव के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं का बुरा हाल है। वार्ड में लगे पंखे मात्र घूम रहे हैं। गर्मी और उमस से प्रसूताओं के साथ नवजात भी तड़प रहे हैं। ज्यादातर लोग तो हाथ से पंखा झलकर राहत पाने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो घर से टेबल फैन उठाकर ले आए हैं।
गंदगी का भी अंबार
अस्पताल में कई जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है। जगह-जगह अस्पताल का कचरा पड़ा हुआ है। तीमारदार वार्डों के बाहर और परिसर में बचा खाना फेंक देते हैं, जो सड़ रहा है। इससे उठने वाली दुर्गंध के कारण लोगों का बुरा हाल है।
गातार ओपीडी, डिलीवरी व अन्य स्वास्थ्य संबंधी क्रियाओं का बढ़ रहा प्रतिशत
चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि अस्पताल में लगातार ओपीडी, डिलीवरी व अन्य स्वास्थ्य संबंधी क्रियाओं का प्रतिशत बढ़ रहा है। बेड उस मुताबिक कम हैं। इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि मरीज को परेशानी न हो। अस्पताल चिकित्सा शिक्षा के अधीन आ जाने के बाद अब हम धीरे-धीरे व्यवस्था सुधार रहे हैं।
नई बिल्डिंग बनते ही बढ़ाए जाएंगे बेड
दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता का कहना है कि महिला अस्पताल में दून ही नहीं बल्कि पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों व उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र से भी महिलाएं डिलीवरी के लिए आती हैं, लेकिन बेड उस मुताबिक कम हैं। नई बिल्डिंग बनते ही बेड बढ़ाए जाएंगे।
यह भी पढ़ें: चिकित्सकों की कमी पर भड़के लोग, सीएमएस को घेरा
यह भी पढ़ें: टिहरी के घियाकोटी गांव में उल्टी-दस्त से चार की मौत