-सियासी सदाशयता से दल हुए गदगद
राज्य ब्यूरो, देहरादून: आपदाग्रस्त केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण की मुहिम में मुख्यमंत्री हरीश रावत ज
राज्य ब्यूरो, देहरादून: आपदाग्रस्त केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण की मुहिम में मुख्यमंत्री हरीश रावत जहां अन्य सियासी दलों के सुरों को साधने में कामयाब रहे, वहीं सरकार के न्यौते पर केदारनाथ के दौरे से लौटे इन दलों के प्रतिनिधि खासे गदगद नजर आ रहे हैं। सर्वदलीय बैठक में भाग लेने वाले सभी नेताओं ने मुख्यमंत्री की इस पहल की तहेदिल से सराहना की। साथ ही, केदारनाथ पुनर्निर्माण व पुनर्वास के संबंध में सरकार द्वारा उनके सुझाव लिए जाने पर खासे उत्साहित भी नजर आए।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केदारनाथ धाम में कैबिनेट की बैठक के बाद सर्वदलीय बैठक का सियासी कार्ड खेलते हुए समस्त सियासी दलों के सुर साधने की कोशिश भी की। एकमात्र विपक्षी दल भाजपा को छोड़कर बाकी लगभग सभी दलों के प्रतिनिधि मुख्यमंत्री के निमंत्रण पर हवाई मार्ग से केदारनाथ धाम पहुंचे। सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री ने केदारनाथ पुनर्निर्माण की पूरी कार्ययोजना से सभी दलों के प्रतिनिधियों को अवगत कराया, तो उनसे इस संबंध में सुझाव भी मांगे।
सरकार की यह सियासी सदाशयता बैठक में शामिल हुए सभी दलों के प्रतिनिधियों का दिल जीतने में कामयाब रही। बीते रोज तक जहां सियासी दल केदारनाथ के लिए आनन-फानन मौखिक निमंत्रण दिए जाने की शिकायत कर रहे थे, उनके प्रतिनिधि आज केदारनाथ से लौटकर सरकार की इस पहल की मुक्तकंठ से सराहना कर रहे थे। बसपा विधायक सरबत करीम अंसारी का कहना है कि मुख्यमंत्री की इस पहल से अच्छा संदेश जाएगा। पुनर्निर्माण की मुहिम में सभी दलों के सुझाव आमंत्रित करने से खासा लाभ होगा।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एसएन सचान का कहना है कि सर्वदलीय मंथन से बड़ी-बड़ी समस्याओं का हल होता है। उनकी ओर से इस बैठक में पुनर्निर्माण के कार्य में गुणवत्ता से समझौता न करने व इस आपदा से सबक लेते हुए केदारनाथ में अनियंत्रित विकास पर अंकुश लगाने का सुझाव दिया गया। सीपीआई के राष्ट्रीय काउंसिल सदस्य समर भंडारी कहते हैं कि केदारनाथ में वहां की भौगोलिक विशिष्टता व स्थानीय जरूरत के अनुरूप निर्माण होना चाहिए। सभी दलों से सुझाव लिया जाना एक स्वच्छ लोकतांत्रिक तरीका है। सुझावों पर कितना अमल होगा, यह सरकार पर ही निर्भर है।
सीपीएम के जिला सचिव सुरेंद्र सजवाण कहते हैं कि इस तरह की सर्वदलीय बैठक विभिन्न गंभीर मसलों पर लगातार होनी चाहिए। चारधाम के साथ ही राज्य के अन्य धार्मिक स्थलों के लिए श्राइन बोर्ड गठित किया जाना चाहिए। उक्रांद (ऐरी गुट) के संरक्षक बीडी रतूड़ी ने भी सरकार की इस पहल का स्वागत किया। उनका सुझाव है कि केदारनाथ मंदिर की आपदा से सुरक्षा करने वाली विशाल शिला को इस त्रासदी में मारे गए लोगों के स्मारक के तौर पर विकसित किया जाना चाहिए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारियों व स्थानीय लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं।