सरकारी कामकाज का तरीका, मदद के चेकों ने सरकारी चौखट पर तोड़ा दम
मदद के सरकारी चेक सितंबर 2016 में शासन ने तहसील प्रशासन को भिजवा दिए थे, लेकिन इन्हें फाइलों के गठ्ठर में दबा दिया गया।
By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 23 Mar 2017 01:32 PM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 04:00 AM (IST)
देहरादून, [अंकित सैनी]: ये है सरकारी कामकाज का तौर-तरीका। जरूरतमंद राह ताकते रहे और कारिंदे सरकारी इमदाद को खुद ही 'पचा' गए। इसका पता न मददगार को चलने दिया और न ही तलबगार को।
सरकारी सिस्टम को बेपर्दा करने वाला यह किस्सा जुड़ा है राजधानी के उन एक हजार लोगों की उम्मीदों से, जिन्होंने अपनी या परिजनों की बीमारी के इलाज के लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मदद मांगी थी। इन सभी के चेक तहसील में पड़े-पड़े कालातीत (मियाद अवधि खत्म) हो गए। नतीजा सभी चेक शासन को वापस कर दिए गए।
आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को गंभीर बीमारियों के इलाज अथवा दूसरे पारिवारिक दायित्वों को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मदद दी जाती रही हैं। राज्य बनने के बाद से इस कोष का दायरा लगातार बढ़ा है। पिछले साल की शुरुआत में भी काफी संख्या में जरूरत मंदों ने सरकार से मदद की फरियाद की। मार्च 2016 तक आवेदन करने वालों में से राजधानी देहरादून के एक हजार फरियादियों के लिए राज्य सरकार ने मदद स्वीकृत की। इसमें दस से पचास हजार रुपये तक की मदद शामिल थी।
सूत्रों के अनुसार इन सभी के चेक सितंबर 2016 में शासन ने तहसील प्रशासन को भिजवा दिए थे, लेकिन इन्हें फाइलों के गठ्ठर में दबा दिया गया। विडंबना यह कि फरियादी तहसील के चक्कर लगाते रहे, लेकिन चेक उन तक पहुंचाने की बजाए अफसर उन्हें टहलाते रहे। परिणामस्वरूप चेकों की तीन महीने की मियाद तहसील में पड़े-पड़े बीत गई, पर ये जरूरतमंदों तक नहीं पहुंची।
मामला तब खुला, जब दिसंबर 2016 में राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू होने पर आयोग ने सभी तरह की आर्थिक मदद के चेक वितरित करने के रोक का सामान्य आदेश जारी किया। फिर भी तहसील प्रशासन मसले पर पर्दा डालने की कोशिश करता रहा, लेकिन बात आखिरकार खुल गई। नतीजा सभी चेक वापस करने पड़े। अपर जिलाधिकारी हरबीर सिंह ने इसकी पुष्टि की। उनका कहना है कि लोग अपने चेक लेने नहीं आए थे। हालांकि प्रशासन का यह तर्क गले नहीं उतर रहा। क्योंकि इन्हें बंटवाने की जिम्मेदारी खुद तहसील प्रशासन की है।
500 चेक अभी भी लंबित
द हरादून तहसील में अभी भी 500 लोगों के मुख्यमंत्री राहत कोष के चेक लंबित हैं। ये चेक आचार संहिता से ऐन पहले जारी किए गए थे, लेकिन चुनाव की वजह से इनका वितरण नहीं हो पाया था। अभी शासन ने इस पर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं।
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