गायत्री को यकीन नहीं था, पीएम मोदी लेंगे उसका नाम
देहरादून निवासी गायत्री ने अपनी पीड़ा ऑडियो रेकार्ड के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साझा की। उसे यकीन नहीं था कि अपने संदेश में पीएम उसका नाम लेंगे। अब वह बहुत खुश है।
देहरादून, [जेएनएन]: कभी-कभी हालात भी बदलाव की वजह बन जाते हैं। इसका उदाहरण है दून में रिस्पना नदी के किनारे रहने वाले निम्न वर्गीय परिवार की बेटी गायत्री। स्कूल आते-जाते गंदगी से पटी रिस्पना को देख गायत्री व्यथित हो उठती थी। उसने कभी एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) के माध्यम से तो कभी व्यक्तिगत स्तर पर लोगों से नदी में कूड़ा न डालने की अपील की। फिर भी हालात में बदलाव नहीं आया तो उसने अपनी पीड़ा ऑडियो रेकार्ड के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साझा की और सुखद यह कि प्रधानमंत्री ने भी 'मन की बात' में इसे महसूस किया। हालांकि उसे यकीन नहीं था कि अपने संदेश में पीएम उसका नाम लेंगे। अब वह बहुत खुश है।
राजधानी के दीपनगर में रहने वाली गायत्री पेगवाल राजकीय बालिका इंटर कॉलेज अजबुरकलां में 11वीं की छात्रा है। उनका घर नदी से चंद कदम की दूरी पर है। पिता गुलाब सिंह वेलडिाग की दुकान चलाते हैं और मां छाया एक सामान्य गृहणी हैं। गायत्री बताती है कि स्कूल आते-जाते वह अक्सर लोगों को रिस्पना में कचरा डालते देखती थी। स्थिति यह आ चुकी है कि नदी में गंदगी का अंबार लगा है और वह नाले में तब्दील होती जा रही है।
इस विषय में उन्होंने अपने शिक्षकों से बात की। उन्हीं के मार्गदर्शन से एनएसएस के तहत न सिर्फ क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाया गया, बल्कि लोगों से नदी में कूड़ा न डालने की अपील भी की गई। लेकिन न लोग बदले, न स्थिति। एक दिन प्रधानमंत्री की 'मन की बात' सुनी तो जेहन में ख्याल आया कि क्यों न यह पीड़ा पीएम से साझा की जाए। ऐसे में उन्होंने मन की बात के लिए अपना एक ऑडियो रेकार्ड कर भेजा। इसमें गायत्री ने बताया कि किस तरह लोग रिस्पना को लगातार दूषित कर रहे हैं। रविवार को पीएम ने 'मन की बात' में इस वॉयस मैसेज को आधार बनाकर लोगों से स्वच्छता के लिए प्रयास करने का अनुरोध किया।
आइएएस बनाना चाहती है
गायत्री न सिर्फ सामाजिक सरोकारों के प्रति सजग है, बल्कि पढ़ाई में भी अव्वल है। दसवीं उत्तराखंड बोर्ड में उसके 76 फीसद नंबर थे। उसकी ख्वाहिश आइएएस बनने की है और वह बालिका शिक्षा व महिला अधिकारों के लिए काम करना चाहती है। गायत्री कविताएं भी लिखती है और उसे पढ़ने का शौक भी है। अंग्रेजी उसका पसंदीदा विषय है। साथ ही वह बॉर्डर जैसी प्रेरणादायक फिल्में देखना पसंद करती है। अपनी छोटे भाइयों अंकित व वासु के लिए भी वह प्रेरणादायी है।
लोग अब व्यक्तिगत प्रयास को तैयार
गायत्री के इस प्रयास से क्षेत्र के लोग भी गद्गद हैं। अधिकांश टेक्नो सेवी लोग भी जहां यह नहीं जानते कि पीएम तक बात पहुंचाने का यह भी एक माध्यम हो सकता है, एक बस्ती की बच्ची ने यह कर दिखाया। पड़ोसी पूनम कहती हैं कि जो काम जनप्रतिनिधि को करना चाहिए, वह गायत्री ने किया। उसकी इस पहल से कुछ तो बदलाव आएगा ही। कुछ लोग व्यक्तिगत प्रयास से भी नदी की साफ-सफाई की बात कहने लगे हैं।
पहले भी भेजा पीएमओ को पत्र
गायत्री के इस प्रयास की लोग तारीफ कर रहे हैं, लेकिन यह उसका पहला प्रयास नहीं था। इससे पहले भी जनवरी में उसने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजा था। जिसका जवाब अभी नहीं आया। प्रधानमंत्री मोदी को वह अपना आइडल मानती है। कहती है, मोदी चाय बेचकर यहां तक पहुंचे। अगर वह हाथ में झाड़़ू उठा सकते हैं तो बाकी क्यों नहीं।
जिस दिन मैसेज भेजा, उसी दिन रेस्पांस
गायत्री मानती है कि पीएम सीधा आम आदमी से जुड़ते हैं। यह उनकी कला है। उन्होंने 24 मार्च को अपना मैसेज रेकार्ड कर भेजा था और इसी दिन शाम को कुछ अन्य जानकारियां लेने के लिए उन्हें कॉल भी आ गई। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि पीएम के स्तर से इतनी जल्दी रेस्पांस मिलेगा।
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