उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का ढांचा पुनर्गठित
मंत्रिमंडल ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संशोधित ढांचे को मंजूरी प्रदान कर दी है। नए ढांचे में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अलग कार्यालय का गठन किया गया है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: मंत्रिमंडल ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संशोधित ढांचे को मंजूरी प्रदान कर दी है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राज्य आपदा परिचालन केंद्र, जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र व जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र में ढांचे में पदों की संख्या 292 की गई है। पहले यह संख्या 247 थी।
नए ढांचे में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अलग कार्यालय का गठन करते हुए इसमें 43 पदों का सृजन किया गया है। मुख्य सचिव को राज्य आपदा प्राधिकरण का पदेन मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनाया गया है। वहीं राज्य आपदा परिचालक केंद्र में कुल 15 पद रखे गए हैं। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों में 117 पद रखे गए हैं, जबकि आपातकालीन परिचालन केंद्रों पूर्व की भांति 117 पद ही शामिल किए गए हैं।
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मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के ढांचे पर चर्चा हुई। इस दौरान यह बात सामने आई कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का न तो अपना कार्यालय है और न ही भवन। गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, बिहार, असम व हिमाचल में अलग प्राधिकरण स्थापित हो चुके हैं।
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ऐसे में उत्तराखंड में भी अलग प्राधिकरण का गठन करते हुए इसके लिए 43 नए पदों का सृजन किया गया। इसमें दो पद पदेन रखे गए हैं। प्राधिकरण के ढांचे में विभागीय प्रमुख सचिव अथवा सचिव को पदेन सचिव बनाया गया है। इसके अलावा इसमें अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी, वित्त अधिकारी, सीनियर कंसल्टेंट, कंसल्टेंट, असिस्टेंट कंसल्टेंट, विशेषज्ञ, प्रबंधक, जागरूकता एवं प्रचार अधिकारी, मास्टर ट्रेनर, सिस्टम एनालिस्ट, लेखाकार, सहायक लेखाकार, निजी सचिव, जीआइएस आपरेटर, कार्यालय सहायक व मल्टी परपज वर्कर रखे जाएंगे।
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राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में सात नए पदों का सृजन करते हुए इसमें 15 कर्मचारियों की तैनाती का निर्णय लिया गया है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में डाटा एंट्री आपरेटर व मल्टी परपज वर्कर के 13 पदों की कटौती की गई है। इसमें अब 117 कर्मचारी होंगे। पहले इसमें 130 कर्मचारी थे।
खागी चौहानों को मिली राहत
प्रदेश में तकरीबन 40 हजार खागी चौहान हैं। इन्हें अभी केवल खागी जाति ही पिछड़ा वर्ग के रूप में दर्ज थी। इससे खागी के आगे चौहान न होने से इन्हें प्रमाणपत्र बनाने में खासी दिक्कतें आ रही थीं। मामला अन्य पिछड़ा आयोग के समक्ष आने पर आयोग के अध्यक्ष अशोक वर्मा ने क्षेत्रीय दौरा कर 15 फरवरी 2015 को इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा था। मामला काफी लंबे समय तक लंबित रहा। आखिरकार कैबिनेट ने खागी जाति के आगे चौहान लगाने पर अपनी सहमति प्रदान कर दी।
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