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Dehradun के स्कूलों की मनमानी, निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें खरीदने को अभिभावक मजबूर

Dehradun News तीसरी व छठी कक्षा को छोड़ अन्य कक्षा की एससीईआरटी की किताबें होने के बाद भी अधिकांश निजी स्कूल निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें मंगा रहे हैं। विभिन्न कक्षा में एससीईआरटी के मुकाबले किताबों के दाम तीन गुना ज्यादा हैं। इसी तरह तय दुकान से स्कूल के नाम लिखी कापी का सेट भी महंगा है। रबड़ पेंसिल शापनर के दाम भी 20 प्रतिशत तक बढ़े हैं।

By Sumit kumar Edited By: Nirmala Bohra Published: Sat, 27 Apr 2024 01:43 PM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2024 01:43 PM (IST)
Dehradun News : एससीईआरटी के मुकाबले निजी प्रकाशकों की किताबें तीन गुना तक महंगी

जागरण संवाददाता, देहरादून: Dehradun News : निजी स्कूलों की मनमानी से इस बार भी अभिभावक अछूते नहीं हैं। तीसरी व छठी कक्षा को छोड़ अन्य कक्षा की एससीईआरटी की किताबें होने के बाद भी अधिकांश निजी स्कूल निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें मंगा रहे हैं।

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प्रत्येक कक्षा में एससीईआरटी अथवा एनसीईआरटी की किताबें एक से दो ही मंगाई जा रही है, ताकि कार्रवाई से बचा जा सके। इसके अलावा स्कूलों की ओर से अभिभावकों से तय दुकान से विभिन्न कक्षाओं के कापी-किताबों का सेट लेने को कहा जा रहा है। विभिन्न कक्षा में एससीईआरटी के मुकाबले किताबों के दाम तीन गुना ज्यादा हैं। इसी तरह तय दुकान से स्कूल के नाम लिखी कापी का सेट भी महंगा है।

इसके साथ ही रबड़, पेंसिल, शापनर के दाम भी 20 प्रतिशत तक बढ़े हैं। दुकान में पहुंच रहे अभिभावक कापी-किताब के दाम सुन हैरान व परेशान हैं। वहीं, दाम बढ़ने का कारण स्टेशनरी संचालक कागज महंगा होने का हवाला दे रहे हैं।

निजी स्कूलों में सिर्फ एनसीईआरटी अथवा एससीईआरटी की किताबें लागू करने के लिए शिक्षा विभाग भी कई वर्षों से प्रयास कर रहा है, लेकिन इस पर स्कूल अमल नहीं करते हैं। अब नए सत्र के लिए विभिन्न कक्षाओं में अध्ययनरत बच्चों के लिए अभिभावक कापी, किताब, ड्रेस, बैग, जूते, मौजे के लिए दुकान में पहुंच रहे हैं। कई स्कूलों ने तय दुकान से ही अभिभावकों से कापी-किताब खरीदने को कहा है।

वहीं, बुक सेलर की दुकान पर पहुंच रहे अभिभावक दाम सुनकर परेशान हैं। उनका कहना है कि विभाग जहां एससीईआरटी की किताबें मंगवाने को कहता है, लेकिन स्कूल प्रबंधन इसका पालन नहीं करते हैं। सिर्फ दिखाने के लिए ही एससीईआरटी की किताबें रखी जाती हैं, लेकिन अधिकांश महंगी प्रकाशकों की किताब वह भी तय दुकान से खरीदने को कहा जा रहा है। वहीं, विभागीय अधिकारी भी इसे अनदेखा करते हैं। जिससे हर वर्ष की भांति इस बार भी उन्हें स्कूलों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है।

कापियां भी बीते वर्ष के मुकाबले दोगुने दाम पर मिल रही हैं। शहर में कुछ बुकसेलर की दुकानों के बाहर संबंधित स्कूल की ड्रेस के बोर्ड लगाए गए हैं। स्कूल भी कुछ दुकानों से अभिभावकों को खरीदने को कह रहे हैं। कापी किताब के सेट वाली पर्ची में कई स्कूलों ने तो संबंधित बुकसेलर का नाम भी दर्शाया गया है। अभिभावक दुकान पहुंचता है तो पूरा सेट तैयार रहता है, लेकिन दाम सुनकर अभिभावक परेशान हो जाते हैं।

बीते वर्ष के मुकाबले कापी के दाम

  • कापी पेज, पहले दाम, वर्तमान दाम
  • 120, 30, 55
  • 144, 40, 65
  • 160, 45, 65,
  • 200, 70, 90

रजिस्टर पेज, दाम पहले, वर्तमान दाम

  • 192, 70, 95
  • 225, 80, 110

विभिन्न कक्षाओं के लिए इस तरह बढ़ रहे किताबों के दाम

  • कक्षा, एससीईआरटी, निजी प्रकाशकों की किताब
  • एक से तीन, 320-435, 1100-1600
  • चार से पांच, 750-800, 1700-2200
  • छह से आठ, 900-1000, 1900-2600
  • नौवीं व 10वीं, 950-1050, 2000-2800

पेंसिल, पेन व रबर के दाम में 20 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी

इस बार पेन, पेंसिल, रबर व शापनर के दाम में भी बीते वर्ष के मुकाबले 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। नटराज की 20 पेंसिल का बाक्स पहले 50 रुपये का था जो अब 65-70 रुपये तक बिक रहा है। 20 पीस वाला रबर का बाक्स 30 रुपये से बढ़कर 50 में बिक रहा है। इसी तरह 30 पीस वाला शापनर का बाक्स अब 30 से बढ़कर 50 रुपये पहुंच गया हे।

स्थिति यह है कि कई दुकानों में अभिभावकों को बिल तक नहीं दिया जाता है। दुकानों में स्कूल की बताई गई कक्षाओं के सेट बनाकर रखे हैं। जिसमें अपनी मर्जी के स्टेशनरी सामान डाल कर दिया जा रहा है। यदि स्टेशनरी सामान कम करने को कहो तो स्कूल से बात करने को कहते हैं। बुक विक्रेता व स्कूलों के बीच यह खेल चल रहा है। महंगाई से अभिभावक ही हर तरफ से पिसते जा रहे हैं।

- आरिफ खान, अध्यक्ष, नेशनल एसोसिएशन फार पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स (एनएपीएसआर)

सीबीएसई से लेकर सीआइसीएसई के स्कूल सभी एनसीईआरटी की किताबों नहीं मंगवा रहे हैं। अभिभावकों को महंगी किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। स्कूलों की तरफ सरकार के लचीलेपन से स्कूलों की मनमानी बढ़ती जा रही है। सत्र शुरू होते ही विभिन्न मदों में फीस लेने, कापी किताब के मनमाने सेट से मध्यमवर्गीय परिवार के अभिभावकों को बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो रहा है।

-मनमोहन जायसवाल, मंत्री, उत्तराखंड अभिभावक संघ

अभिभावक अपने हिसाब से स्कूल तय करता है कि कहां उसे किस स्तर के स्कूल में बच्चा पढ़ाना है। सरकार व बोर्ड के निर्देश के तहत ही स्कूल में विभिन्न गतिविधियां संचालित होती है। एसोसिएशन से जितने भी स्कूल जुड़े हैं उन्हें कहा गया है कि एनसीईआरटी अथवा एससीईआरटी की किताबें मंगवाएं। बाजार में यदि यह किताबें उपलब्ध नहीं हैं तो उनकी जगह निजी प्रकाशकों की किताबें मंगवानी पड़ेंगी।- प्रेम कश्यप, अध्यक्ष, प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन

बीते वर्ष के मुकाबले कापी-किताब से लेकर रबड़, पेंसिल व शापनर के दाम काफी बढ़े हैं। एनसीईआरटी की किताबें न के बराबर हैं, लेकिन एससीईआरटी की तीसरी व छठी कक्षा को छोड़कर सभी किताबें उपलब्ध हैं। तीसरी व छठी कक्षा में पाठ्यक्रम में होने जा रहे बदलाव के चलते अभी किताबें नहीं आ पाई हैं। बीते वर्ष के मुकाबले इस बार एससीईआरटी की किताबों की मांग बढ़ी है। यहां पूरे सेट के साथ ही अलग-अलग विषयों की किताबों भी उपलब्ध रहती हैं।

-रविंद्र बडोनी, सचिव, दूनघाटी बुकसेलर एसोसिएशन

नया सत्र शुरू होते ही अभिभावक स्कूलों की मनमानी से परेशान ना हो, इसके लिए शिकायत प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। अभिभावक यहां शिकायत दर्ज कर रहे हैं। संबंधित स्कूल की अधिकारी जांच करेंगे और इसके बाद आगे की कार्रवाई करेंगे। विभाग का पूरा ध्यान स्कूलों में गुणवत्तापरक शिक्षा देना है।

- प्रदीप कुमार, मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून


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