ईद के उल्लास में गुलजार हुए दून के बाजार
रमजान में 29 रोजे पूरे हो चुके हैं। अब ईद का इंतजार है। रविवार को चांद नजर आने की उम्मीद है। इसको लेकर तैयारियां जोरों पर है।
देहरादून, [जेएनएन]: रमजान के पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भूखे-प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत की। रमजान में 29 रोजे पूरे हो चुके हैं। अब ईद का इंतजार है। रविवार को चांद नजर आने की उम्मीद है। इसको लेकर तैयारियां जोरों पर है।
बाजार में ईद को लेकर तमाम तरह का सामान सज गया है। पलटन बाजार, धामावाला, तहसील चौक, झंडा बाजार, इंदिरा मार्केट गुलजार हैं। देर रात शाम तक बच्चे, जवान, बुजुर्ग और महिलाएं नए कपड़ों समेत तमाम चीजों की खरीददारी कर रहे हैं।
इंडोनेशियन टोपी की धूम
ईद के लिए बाजार में टोपियों की भी भरमार है। साधारण टोपियों के साथ विदेशी टोपियों की खूब खरीददारी हो रही है, लेकिन सबसे ज्यादा इंडोनेशियन टोपी लोगों को भा रही है। इसके अलावा जरवी टोपी, मोती वाली टोपी, चिमकी टोपी, मखमली टोपी, पंचकली टोपी भी दुकानों पर उपलब्ध है। इनकी कीमत 30 से 80 रुपये तक है।
सफेद कुर्ता-पायजामा की पहली पसंद
ईद के लिए वैसे तो जींस, टी-शर्ट से लेकर फैंसी कुर्ता-पायजामों की भी बिक्री हो रही है, लेकिन सफेद-कुर्ता पायजामे का जलवा बरकरार है। पठानी कुर्ते का भी युवाओं में क्रेज दिख रहा है।
इत्र की महक रही खुशबू
अल्लाह की इबादत के लिए खुशबू लगाना सुन्नत है। ईद के नमाज के लिए लोग इत्र लगाकर ईदगाह और मस्जिदों में जाते हैं। इत्र में 'जन्नतुल फिरदौस', 'समामा फिरदौस', 'हज्जे अवद' आदि वैरायटी हैं।
हमेशा के लिए करें बुराइयों से तौबा
नायब सुन्नी शहर काजी सैयद अशरफ हुसैन कादरी कहते हैं कि रमजान के बाद आने वाली ईद को 'ईद-उल-फितर' कहते हैं। फितर को ईद के साथ जोडऩे की खास वजह है, जिससे ईद सभी की हो जाए। इसमें लोगों पर फितरा तय किया जाता है, जिसे वह गरीबों को देते हैं। इसका उद्देश्य ये होता है कि गरीब और यतीम भी ईद को उल्लास के साथ मना सकें।
इसलिए ईद भाईचारे, सद्भाव और प्रेम का पर्व है। उन्होंने बताया कि एक महीने तक हम हर बुराई से दूर रहते हैं, ताकि अल्लाह हमसे खुश रहे। लेकिन, हमें अल्लाह रहमत जीवनभर चाहिए तो बुराइयों को हमेशा के लिए त्यागने का संकल्प लेना चाहिए।
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