केबिनेट में खड़िया के खनन की नीति पर मुहर
राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसलों के साथ ही प्रदेश की खनन नीति में संशोधन पर भी मुहर लगाई गई। उपखनिजों के चुगान व स्टोर क्रशर की संशोधित नीति में समूचे प्रदेश को तीन जोन में बांटा गया है। सीमांत क्षेत्र वाले जोन-ए में खनन के मानकों में
राज्य ब्यूरो, देहरादून। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसलों के साथ ही प्रदेश की खनन नीति में संशोधन पर भी मुहर लगाई गई। उपखनिजों के चुगान व स्टोर क्रशर की संशोधित नीति में समूचे प्रदेश को तीन जोन में बांटा गया है। सीमांत क्षेत्र वाले जोन-ए में खनन के मानकों में शिथिलता दी गई है, जबकि तराई क्षेत्र वाले जोन-सी में खनन के सख्त मानक तय किए गए हैं।
केंद्र सरकार की ओर से खड़िया को उपखनिज की श्रेणी में शामिल करने के बाद राज्य कैबिनेट ने इसके खनन के लिए भी रेत-बजरी वाली नीति लागू करने पर मुहर लगाई। इसके अलावा पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पहाड़ की स्थानीय फसलों मंडुवा, गहत, रामदाना, मक्का आदि के बीजों पर किसानों को 70 फीसद सब्सिडी देने और मंडुवा, रामदाना, फाफल के उत्पादन में 200 रुपये प्रति कुंतल बोनस का भी फैसला किया।
राज्य आंदोलनकारियों को दस फीसद क्षैतिज आरक्षण के संबंध में संशोधित विधेयक तैयार करने के लिए प्रमुख सचिव कार्मिक की अध्यक्षता में उपसमिति गठित की गई है। सोमवार को देर रात तक लगभग चार घंटे चली कैबिनेट की बैठक में कुल 72 बिंदुओं पर चर्चा हुई।
कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए मुख्य सचिव एन रविशंकर ने बताया कि सेब व माल्टा के लिए सात हजार रुपये प्रति मीटिक टन व गलगल के लिए चार हजार रुपये प्रति मीटिक टन न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है। स्थानीय फसलों पर उत्पादन बोनस देने के लिए फारमर इंट्रेस्ट ग्रुप बनाए जाएंगे, जिसमें पंजीकृत किसानों को इसका लाभ मिलेगा।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा योजना के तहत लैब तकनीशियनों के 1860 पदों के सृजन को मंजूरी दी गई। अब तक आउटसोर्सिग में लैब तकनीशियन तैनात किए जाते थे, मगर केंद्र द्वारा इनकी आउटसोर्सिग पर रोक लगाने के बाद सरकार नियमित पदों पर लैब तकनीशिनों की नियुक्ति करेगी। पूर्व से इन पदों पर कार्यरत लोगों को नियुक्ति में वेटेज मिलेगा।
अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने खनन नीति में संशोधन की जानकारी देते हुए बताया कि खड़िया के खनन के लिए 25 व 50 वर्ष अवधि के पट्टे दिए जाएंगे। इसके लिए आवेदन शुल्क 50 हजार से बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है। निजी भूमि पर खड़िया के खनन की अनुमति पर्यावरणीय प्रभाव आकलन व शासन की स्वीकृत पर मिल सकेगी।
रिवर बेल्ट मैटीरियल (आरबीएम) के चुगान में उप खनिज की मात्र अब घनमीटर की बजाय टन में मापी जाएगी। वर्तमान में आरबीएम की दर 40 से 45 रुपये प्रति घनमीटर के आसपास थी, जो 90 रुपये प्रति टन के आसपास बैठती थी। कैबिनेट ने इसकी दर में संशोधन को मंजूरी देते हुए इसे 200 रुपये प्रति टन कर दिया।
प्रदेश को तीन जोन में विभाजित किया गया है। जोन-ए में सीमांत जनपद पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर व उत्तरकाशी को शामिल किया गया है। जोन-बी में देहरादून, ऊधमसिंहनगर व हरिद्वार के तराई क्षेत्र और जोन-सी में टिहरी, अल्मोड़ा, पौड़ी, देहरादून के पर्वतीय क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
जोन-ए में खनन के मानकों को शिथिल व जोन-सी में सख्त किया गया है। खनन की अनुमति अब जिलाधिकारी की बजाय शासन स्तर से दी जाएगी। स्टोर क्रशर नीति में भी संशोधन पर कैबिनेट में मुहर लगाई गई। इसके तहत जोन-ए में स्टोर क्रशर के लिए आवेदन शुल्क दो लाख, जोन-बी में चार लाख व जोन-सी में दस लाख रुपये तय किया गया है।
उपखनिज भंडारण नीति रद्द करते हुए अब उन्ही को उपखनिज के भंडारण की अनुमति दी जाएगी, जिसके पास खनन पट्टा या स्टोन क्रशर होगा। मुख्य खनिज के पट्टों के आवंटन के लिए टेंडर प्रक्रिया की बजाय अब लाटरी सिस्टम अपनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि खनन नीति में हुए इन संशोधन के जरिये राजस्व 250 करोड़ से बढ़कर 500 करोड़ पहुंचने का अनुमान है।
कैबिनेट के फैसले
-18 वर्ष तक के विकलांग बच्चों के भरण-पोषण के लिए 500 रु प्रतिमाह आर्थिक मदद
-21 वर्ष तक चार फीट से कम लंबाई वाले लोगों को भी 500 रुपये मासिक आर्थिक मदद
-मानसिक बीमार व्यक्ति को 500 रुपये व उसकी पत्नी को भी 400 रुपये मासिक मदद
-एक वर्ष बाद परित्यक्ता महिला को स्वघोषणा के जरिए मिल सकेगा प्रमाण पत्र
- 590 बसों की खरीद को हडको से 100 करोड़ ऋण लेने को मंजूरी
- चीनी मिलों पर बकाया गन्नामूल्य भुगतान को 89 करोड़ का सॉफ्ट लोन लेगी सरकार
- बाहर से आने वाली चीनी पर 11 फीसद अतिरिक्त प्रवेश शुल्क लगाने का निर्णय
- मेंथा तेल व उसके सभी उत्पादों पर एक फीसद मंडी शुल्क व 0.5 फीसद विकास सेस
- 670 न्याय पंचायतों में कृषि सहायकों को आठ घंटे काम पर मिलेगा 6000 रुपये मानदेय
- मंडुवा, रामदाना, गहत, मक्का आदि स्थानीय बीजों पर 70 फीसद सब्सिडी मिलेगी
- स्थानीय फसलों के उत्पादन पर किसानों को मिलेगा 200 रुपये प्रति कुंतल उत्पादन बोनस
- बेमौसमी फल व सब्जी के उत्पादन को बढ़ावा देने को इनपुट लागत पर मिलेगी सब्सिडी
- आंदोलनकारियों को दस फीसद क्षैतिज आरक्षण संबंधी विधेयक को सब कमेटी
- नानकमत्ता व गूलरघोट को नगर पंचायत व रानीखेत-चिड़ियानौला को नगरपालिका का दर्जा
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