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विधायकों के लिए सरकारी ओहदों का बंदोबस्त

खनिज विकास परिषद और अवस्थापना विकास परिषद में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बन सकेंगे विधायक राज्य ब्यूरो,

By Edited By: Published: Thu, 27 Nov 2014 01:23 AM (IST)Updated: Thu, 27 Nov 2014 01:23 AM (IST)

खनिज विकास परिषद और अवस्थापना विकास परिषद में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बन सकेंगे विधायक

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राज्य ब्यूरो, देहरादून

सूबे की कांग्रेस सरकार ने विधायकों के लिए सरकारी ओहदों को बंदोबस्त कर दिया है। इसके लिए उत्तराखंड राज्य खनिज विकास परिषद और उत्तराखंड राज्य अवस्थापना विकास परिषद विधेयक विधानसभा में पेश किया गया। उक्त दोनों परिषदों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर विधायकों में से नियुक्ति की जाएगी।

विधेयक में राज्य में खनिज विकास और स्थापित एवं भविष्य में स्थापित होने वाले औद्योगिक विकास के लिए सरकार ने अलग-अलग परिषद का गठन प्रस्तावित किया है। परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव विधायकों में से होगा।

इनसेट-

खनिज विकास परिषद में नामित सदस्य अवस्थापना विकास आयुक्त, खनन प्रमुख सचिव या सचिव, वन एवं पर्यावरण प्रमुख सचिव या सचिव, पर्यटन प्रमुख सचिव या सचिव और जीएमवीएन एवं केएमवीएन के प्रबंध निदेशक पदेन सदस्य होंगे। भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशक सदस्य सचिव होंगे। अवस्थापना विकास परिषद में अवस्थापना विकास आयुक्त, वित्त प्रमुख सचिव या सचिव, नियोजन प्रमुख सचिव या सचिव, विधि एवं न्याय प्रमुख सचिव या सचिव और वन एवं पर्यावरण प्रमुख सचिव या सचिव पदेन सदस्य होंगे।

-सरकार विशेष परिस्थिति में गैर सरकारी सदस्यों की नियुक्ति तीन की संख्या से ज्यादा भी कर सकेगी।

-अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का कार्यकाल विधानसभा सदस्य के रूप में कार्यावधि की तारीख तक होगा।

-परिषद की वर्ष में न्यूनतम तीन बैठकें होंगी। परिषद अध्यक्ष देहरादून में बैठक करने के लिए अधिकृत होंगे। जरूरत के मुताबिक राज्य के अन्य स्थानों पर भी बैठक हो सकेंगी।

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय का नामकरण

-उत्तरप्रदेश कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय अधिनियम 1958 (उत्तराखंड में लागू) की व्यवस्थाओं में आ रही व्यावहारिक कठिनाइयां दूर करने को उत्तराखंड कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक पेश किया गया है। इसमें नाम परिवर्तन के साथ ही धारा दो (कक) जोड़ते हुए विश्वविद्यालय की संबद्धता के लिए महाविद्यालयों और संस्थानों के लिए परिनियम जोड़ना प्रस्तावित है। विश्वविद्यालय के विषयों में कृषि विज्ञान, पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विज्ञान, मत्स्य विज्ञान, खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, औषधि एवं संगंध पादप विज्ञान, इको टूरिज्म शामिल किए गए हैं।

गैरसैंण विकास परिषद विधेयक में चमोली जिले के विकासखंड गैरसैंण और अल्मोड़ा जिले के विकासखंड चौखुटिया को शामिल किया गया है।

-इन दोनों विकासखंडों में अवस्थापना विकास से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन एवं संचालन, क्ष्ेात्र के नियोजित विकास के लिए प्राप्त धनराशि का समुचित उपयोग परिषद के जिम्मे होगा।

-परिषद क्षेत्र के नियोजित विकास के लिए मास्टर या जोनल प्लान लागू करेगा।

-परिषद का मुख्यालय गैरसैंण में होगा।

परिषद का अध्यक्ष विधानसभा अध्यक्ष या उनके द्वारा नामित कोई व्यक्ति होगा। अध्यक्ष विधानसभा उपाध्यक्ष, विधानसभा को विधानसभा के किसी अन्य सदस्य को दायित्वों और कार्यो के निर्वहन को शक्तियां प्रदान कर सकेगा।

-सह अध्यक्ष-राज्य सरकार से नामित व्यक्ति

-सदस्यों में स्थानीय विधायक, वित्त, लोक निर्माण विभाग, पेयजल, ऊर्जा, सिंचाई, आवास विभाग के प्रमुख सचिव, सचिव या अपर सचिव पदेन सदस्य, जिलाधिकारी चमोली, नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग का मुख्य या वरिष्ठ नगर नियोजक पदेन सदस्य, नगर पंचायत गैरसैंण अध्यक्ष, विकासखंड गैरसैंण प्रमुख और विकासखंड चौखुटिया प्रमुख इसके सदस्य होंगे। शासन से नामित दस महानुभाव जिन्हें वित्त, नियोजन, लेखा, लोक प्रशासन, समाज सेवा, शिक्षा, विधि, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य, नगर नियोजन, पर्यावरण व विशिष्ट ज्ञान हो।

-मुख्य कार्यकारी अधिकारी सदस्य सचिव होंगे। पदेन सदस्यों को छोड़कर परिषद के अन्य सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। परिषद की वर्ष में न्यूनतम चार बैठकें होंगी।

मदरहुड विश्वविद्यालय रुड़की

-रुड़की में निजी विश्वविद्यालय की स्थापना को विधेयक

-विश्वविद्यालय पांच वर्ष की अवधि के बाद राज्य सरकार की अनुमति से अपना दूसरा परिसर स्थापित कर सकेगा। पर्वतीय क्षेत्रेा में 2500 फुट से ऊपर दूसरा कैंपस खोलने की कोई समय सीमा नहीं होगी।


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