कृषि व्यवसाय के क्षेत्र में नए मॉडल सुझाए
जागरण संवाददाता, देहरादून: यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड इनर्जी स्टडीज के कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड इकोनॉमिक्स स्टडीज में 'एग्रो सप्लाई चेन कांफ्रेंस' आयोजित की गई। इसमें खाद्य मुद्रास्फीति के कारणों पर चर्चा हुई और विशेषज्ञों ने कृषि व्यवसाय के क्षेत्र में नए मॉडल सुझाए।
इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एग्री बिजनेस कमेटी पीएचडीसीसीआइ के को-चेयरमैन विजय सरदाना ने कहा कि सब्जी, फल व अन्य कृषि उत्पाद के दामों में बढ़ोत्तरी की मुख्य वजह आपूर्ति व्यवस्था की खामियां हैं। विशिष्ट अतिथि नेशनल होर्टिकल्चर मिशन के परियोजना निदेशक डॉ. बीएस नेगी ने बताया कि इस समस्या से निजात पाने के लिए राज्य सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है। कांफ्रेंस की अध्यक्षता कर रहे डॉ. नीरज आनंद ने कहा कि कृषि क्षेत्र में पूंजी निवेश की कमी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव, निम्न उत्पादकता, समुचित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल न होना और नीतियों की विफलता खाद्य मुद्रास्फीति के प्रमुख कारक हैं। बीते एक दशक में कृषि क्षेत्र में अमूलचूल परिवर्तन हुए हैं। सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी घटी है। ऐसे में जागरुकता के साथ ही नीतिगत बदलाव की दरकार है। इस दौरान विभिन्न शोधार्थियों व विषय विशेषज्ञों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागियों को पीएचडी सीसीआइ क्षेत्रीय निदेशक अनिल तनेजा ने पुरस्कृत किया।
संस्थान के निदेशक-मीडिया अफेयर्स अरुण ढांढ ने बताया कि कांफ्रेंस नाबार्ड व नेशनल होर्टिकल्चर मिशन के सहयोग से आयोजित की गई। जिसमें देशभर से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में विवि के चांसलर डॉ. एसजे चोपड़ा, मैनेजमेंट एंड इकोनॉमिक्स स्टडीज के डीन डॉ.अनिरबन सेनगुप्ता, असिस्टेंट डीन डॉ. तरुण ढींगरा, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।