डीएवी में छटा दाखिले पर छाया कुहासा
जागरण संवाददाता, देहरादून: डीएवी पीजी कॉलेज में प्रथम वर्ष के प्रवेश पर छाया कुहासा छटने लगा है। कॉलेज शनिवार से प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर रहा है। मेरिट फार्म की बिक्री शनिवार से शुरू कर दी जाएगी। प्रवेश मेरिट के आधार पर ही होंगे हालांकि छात्र नेता इस पर राजी नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए अदालत ने अनुमन्य सीटों पर दाखिले का आदेश जारी किया था। इसे के अनुपालन में गढ़वाल विवि ने अपने से संबंधित सभी कॉलेजों को निर्धारित सीटों पर प्रवेश के आदेश जारी कर दिए। मगर, उच्च शिक्षा में सुधार के लिए सरकार द्वारा न्यायालय में पांच वर्षीय खाका रखने की घोषणा पर डीएवी ने प्रवेश प्रक्रिया स्थगित कर दी थी। हालांकि इसी बीच डीबीएस और एमकेपी कॉलेज ने मेरिट सूची जारी कर दी। ऐसे में दाखिले का दबाव डीएवी पर था।
कॉलेज प्रशासन ने इस बावत छात्र संगठनों से आम राय बनाने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास सफल नहीं हो सका। इसके बाद कॉलेज ने प्रवेश प्रक्रिया को और स्थगित न करते हुए शनिवार से शुरू करने की घोषणा की है। प्राचार्य डॉ. देवेन्द्र भसीन ने बताया कि शनिवार से मेरिट फार्म की बिक्री शुरू कर दी जाएगी।
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छात्र नेताओं ने किया बैठक का बहिष्कार
प्रवेश प्रक्रिया पर आम राय बनाने के लिए कॉलेज प्रशासन और छात्र नेताओं के बीच बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई। मेरिट पर प्रवेश का विरोध कर छात्र नेताओं ने बैठक का बहिष्कार कर दिया।
बुधवार को कॉलेज के पं दीनदयाल सभागार में छात्र संगठनों की बैठक बुलाई गई थी। जिसके पीछे मंशा थी कि प्रवेश प्रक्रिया पर आम राय बने। मगर, छात्र नेता मेरिट पर दाखिले की बात सुन बिफर पड़े। उनका कहना था कि राज्य के छात्रों के पास सीमित विकल्प हैं। दाखिले मेरिट पर होंगे तो कई छात्र प्रवेश से वंचित रह जाएंगे। जबकि, प्राचार्य का कहना था कि वह न्यायालय व विवि के निर्देशों में बंधे हैं। यदि कोई संशोधित आदेश आता है, तो वह भी उनके लिए मान्य होगा। मेरिट पर गतिरोध बढ़ने लगा और छात्र नेता बैठक का बहिष्कार कर निकल गए।
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लॉ में मेरिट पर प्रवेश का विरोध
लॉ के दाखिले मेरिट पर किए जाने का भी छात्रों ने विरोध किया है। छात्रों ने प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही दाखिला किए जाने की मांग की है।
डीएवी में लॉ की 320 सीटें हैं। जिसमें दाखिले को लेकर खासी मारामारी रहती है। दाखिले का आधार अभी तक प्रवेश परीक्षा रही है। स्नातक 45 फीसद अंक में उत्तीर्ण सामान्य वर्ग का कोई भी छात्र परीक्षा के लिए अर्ह था। अनुसूचित जाति-जनजाति के युवाओं के लिए इसमें पांच प्रतिशत की छूट दी गई थी। अब जबकि सामान्य प्रवेश भी मेरिट के आधार पर किए जा रहे हैं। कॉलेज प्रशासन ने लॉ में दाखिला का आधार भी मेरिट को बनाया है। छात्र नेताओं का कहना है कि मेरिट पर प्रवेश होते हैं, तो सामान्य छात्रों के लिए राह आसान नहीं होगी। मेरिट के मानक भी काफी कड़े हैं। इनसे पार पाना छात्र के लिए आसान नहीं होगा।