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उत्तराखंड में सरकार के 25 लाख दबाए बैठी हेली कंपनियां

चारधाम यात्रा में हेलीकॉप्टर कंपनियां खुद अपनी देनदारी अदा करने में पीछे हैं। करीब दो साल से 11 हेलीकॉप्टर कंपनियों पर पार्किंग व लैंडिंग शुल्क के 25 लाख से अधिक रुपये बकाया हैं।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 30 May 2017 11:26 AM (IST)Updated: Wed, 31 May 2017 06:00 AM (IST)
उत्तराखंड में सरकार के 25 लाख दबाए बैठी हेली कंपनियां
उत्तराखंड में सरकार के 25 लाख दबाए बैठी हेली कंपनियां

देहरादून, [सुमन सेमवाल]: चारधाम यात्रियों से मनमाना किराया वसूलने के आरोपों से घिरी हेलीकॉप्टर कंपनियां खुद अपनी देनदारी अदा करने में पीछे हैं। करीब दो साल से 11 हेलीकॉप्टर कंपनियों पर पार्किंग व लैंडिंग शुल्क के 25 लाख से अधिक रुपये बकाया हैं। गंभीर यह कि शासन भी वसूली को लेकर संजीदा नजर नहीं आ रहा। हालांकि वर्तमान सरकार में हेली कंपनियों पर सख्ती करने की तैयारी की जाने लगी है। इसका असर कब नजर आएगा, इसका जवाब अभी भविष्य की गर्त में छिपा है।

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राज्य सरकार हेली कंपनियों से लैंडिंग, ठहरने व पार्किंग आदि सुविधाओं के नाम पर निश्चित धनराशि वसूली करती है। आरटीआइ कार्यकर्ता भूपेंद्र कुमार की ओर से मांगी सूचना में पता चला कि विभिन्न कंपिनयों पर कुल 33 लाख 45 हजार 900 रुपये बकाया था, इसमें से कंपनियों ने अभी तक महज 7.77 लाख रुपये का ही भुगतान किया जा सका है। अभी तक 11 कंपनियों का 25 लाख 68 हजार 234 रुपये का बकाया चल रहा है। शासन रिमाइंडर भेजकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहा है और कंपनियां हैं कि भुगतान करने की तरफ दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहीं। 

88.97 लाख किए समायोजित

आरटीआइ दस्तावेजों के अनुसार सरकार ने विभिन्न हेलीकॉप्टर कंपनयिों से पार्किंग और लैंडिंग शुल्क के 88.97 लाख रुपये का किराया समायोजित दिखाया है। हालांकि यह राशि किस रूप में समायोजित की गई, इसके अभिलेख नहीं दिए गए। गंभीर यह कि समायोजन में उन्हीं कंपनियों को शामिल किया गया है, जिन पर भारी भरकम किराया चढ़ा था। लिहाजा इस समायोजन को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।

75 की जगह दिए 80 हजार प्रति घंटे

सरकार ने शासकीय कार्यों के लिए हेलीकॉप्टर किराए पर लेने की दर 75 हजार रुपये प्रति घंटे तय की है, जबकि शासन ने वर्ष 2013 से 2015 के मध्य कंपनियों को 80 हजार रुपये प्रति घंटे की दर से भुगतान कर दिया। 

यह मामला कैग रिपोर्ट में उजागर हुआ था। अब जब इसको लेकर आरटीआइ मांगी गई तो नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारी यह कह रहे हैं कि अधिक भुगतान की वसूली कर ली गई है, लेकिन इसको लेकर कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं कराया गया।

बकाया वसूलने के प्रयास तेज 

मुख्य अभियंता (नागरिक उड्डयन) जी सितैया के मुताबिक हेली कंपिनयों से बकाया राशि वसूल करने की कवायद तेज कर ली गई है। जो राशि समायोजित होनी दर्शाई गई है, उसके बारे में पता किया जाएगा कि इसे किस रूप से समायोजित किया गया। रही बात अधिक दर से भुगतान करने की तो उसकी वसूली कर ली गई है।  

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