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अनफिट वाहनों को भी दे दिया जाता है फिट का सर्टिफिकेट

प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। वाहनों में तकनीकि खराबी भी इसकी एक बड़ी वजह है। लेकिन विभाग इसका संज्ञान ही नहीं ले रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 22 Nov 2017 07:05 PM (IST)Updated: Wed, 22 Nov 2017 08:56 PM (IST)
अनफिट वाहनों को भी दे दिया जाता है फिट का सर्टिफिकेट

देहरादून, [अंकुर अग्रवाल]: प्रदेश में दुर्घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा, लेकिन वाहनों की फिटनेस जांच की 'जादुई छड़ी' छोड़ने को परिवहन विभाग तैयार नहीं। अधिकतर हादसों की तकनीकी जांच में वाहन अनफिट पाए जाते हैं, लेकिन हैरत देखिए कि परिवहन विभाग द्वारा उन्हें 'फिट' का प्रमाण पत्र मिला होता है। शायद यही है सांठगांठ का खेल। इसे रोकने के लिए 2009 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने ऋषिकेश में ऑटोमेटेड टेस्टिंग लेन बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया लेकिन सात साल बीतने के बाद भी इसका निर्माण अधूरा है। इस अंतराल में इसका बजट भी तीन करोड़ रुपये से बढ़कर दोगुना हो गया है। 

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हालत ये है कि एक वाहन की फिटनेस जांच को जहां आधा घंटा लगता है, उससे कम समय में परिवहन विभाग लगभग 25 वाहनों को 'जादुई छड़ी' से जांच कर हरी झंडी दे देता है। आरटीओ और एआरटीओ कार्यालयों में ये 'खेल' वर्षों से चल रहा। मगर सरकार इसे लेकर संजीदा नहीं। राज्य में इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि न कांग्रेस की सरकार ने इस ओर कोई ध्यान दिया, न ही भाजपा सरकार ने। परिवहन कार्यालयों में जिस तेजी से नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो रहा उतनी ही तेजी से नए-पुराने वाहनों की फिटनेस जांच भी निबटाई जा रही। हालात ऐसे हैं कि परिवहन कर्मियों को फिटनेस मानकों तक की भी जानकारी नहीं। सिर्फ भौतिक जांच कर वाहन को फिट-अनफिट का प्रमाण पत्र थमाया जा रहा। 

पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में इस वर्ष एक जनवरी से 31 अक्टूबर तक हादसों में 950 लोगों की मौत हुई व करीब 1600 लोग जख्मी हुए। हादसों की जांच में ज्यादातर कारण ओवरलोडिंग या ओवरस्पीड रहा, मगर वाहन खराबी के मामले भी सामने आए। हालांकि, वाहन में खराबी का आंकड़ा बेहद चिंताजनक नहीं है लेकिन ऐसे वाहनों से जो भी हादसे हुए उनमें प्रति वाहन छह से दस लोगों ने जान गवाईं। इनमें यूटिलिटी, मैक्स व निजी बसें शामिल हैं। अप्रैल में जौनसार क्षेत्र में बस खाई में गिरने से 46 लोगों की मौत हो गई थी। जो प्रदेश का इस वर्ष का सबसे बड़ा सड़क हादसा रहा। 

ऋषिकेश टेस्टिंग लेन कब होगी पूरी 

चारधाम यात्रा में दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने व व्यवस्था चाक-चौबंद करने को सरकार ने ऋषिकेश में आटोमेटेड टेस्टिंग लेन बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया। इसके लिए श्यामपुर बाईपास पर बीबीवाला में वन विभाग की एक हेक्टेयर भूमि परिवहन विभाग को ट्रांसफर कर दी गई। टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई मगर इसके बाद मामला आगे नहीं बढ़ा। न विभाग ने रूचि ली, न ही सरकार ने। यात्रा सीजन में रोजाना सैकड़ों वाहन ऋषिकेश पहुंचते हैं मगर इनकी भौतिक जांच कर फिटनेस का सर्टिफिकेट थमा दिया जाता है। आटोमेटेड टेस्टिंग लेन में यह काम कंप्यूटराइज्ड होना है। माना जा रहा है कि अगले वर्ष अप्रैल तक टेस्टिंग लेन बनकर तैयार हो जाएगी। यह अलग बात है कि एक लेन तैयार नहीं हुई और विभाग ने हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर में टेस्टिंग लेन बनाने का प्रस्ताव मंजूर कर डाला। 

22 कार्यालय, फिटनेस जांच अधिकारी महज सात 

प्रदेश में परिवहन विभाग के चार संभाग कार्यालय और 18 उप संभाग कार्यालय हैं। सभी में फिटनेस जांच होती है, लेकिन चौकानें वाली बात ये है कि 18 उप संभाग में महज सात ही सहायक संभाग निरीक्षक (एआरआइ) हैं, जबकि संभाग कार्यालयों में तो एक भी संभाग निरीक्षक (आरआई) नहीं। देहरादून, पौड़ी, हल्द्वानी व अल्मोड़ा संभाग कार्यालय में गुजरे तीन से चार वर्ष से आरआइ के पद खाली पड़े हैं। हां, गत वर्ष उप संभाग कार्यालयों में एआरआइ के छह पदों पर चयन प्रक्रिया समाप्त हुई मगर अब तक नए अधिकारियों की नियुक्ति नहीं की गई। 

सुबह अनफिट, शाम को फिट 

फिटनेस जांच में आरटीओ में दलालों का बड़ा नेटवर्क काम करता है। जो वाहन सुबह अनफिट करार दिए जाते हैं, दलालों का नेटवर्क शाम तक इन्हें 'परफेक्ट' का सर्टिफिकेट दिला देता है। 

फिटनेस के मानक 

-वाहन के इंजन व एक्सीलेटर की जांच 

-स्टेयरिंग लॉक की जांच 

-इंडीकेटर, वाइपर, रिफ्लेक्टर, ब्रेक और टॉयर की जांच 

-ड्राइवर केबिन का पार्टिशन, हेड लाइट आदि की जांच वाहन के अनुरूप 

-निजी वाहनों को 15 साल में फिटनेस जांच करानी होती है 

-व्यावसायिक वाहनों को हर साल जांच के लिए वाहन आरटीओ लाना अनिवार्य 

-पर्वतीय क्षेत्र के व्यावसायिक वाहनों की हर छह माह में फिटनेस जांच अनिवार्य 

आरटीओ देहरादून सुधांशू गर्ग का कहना है कि अभी वाहनों को भौतिक तौर पर जांचा जा रहा है। वाहनों की जांच कर ही फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाता है। ऋषिकेश में टेस्टिंग लेन का काम जल्द पूरा होगा।

वहीं महानगर बस सेवा के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने कहा कि वाहनों की फिटनेस कंप्यूटराइज्ड तरीके से ही होनी चाहिए। इससे आरटीओ दफ्तर में फैला दलालों का नेटवर्क बंद होगा एवं दुर्घटनाओं पर भी लगाम लगेगी।

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