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दून के जौनसार बावर में दक्षिण अमेरिकी योकॉन, जानिए खासियत

जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर परगने के बैराटखाई गांव निवासी काश्तकार भाव सिंह ने दक्षिण अमेरिका में उगाए जोन वाले औषधीय पादप योकॉन का उत्पादन बैराटखाई में किया है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 22 Nov 2017 08:50 AM (IST)Updated: Wed, 22 Nov 2017 08:58 PM (IST)
दून के जौनसार बावर में दक्षिण अमेरिकी योकॉन, जानिए खासियत
दून के जौनसार बावर में दक्षिण अमेरिकी योकॉन, जानिए खासियत

देहरादून, [राकेश खत्री]: भले ही सरकारें सूबे में कृषि को बढ़ावा देने के दावे कर रही हों, लेकिन तकनीकी व संचार माध्यमों के बढ़ते प्रचार-प्रसार ने ग्रामीण काश्तकारों को भी कृषि क्षेत्र में नए प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया है। काश्तकार सिर्फ परंपरागत व नकदी फसलों के उत्पादन में ही प्रयोग नहीं कर रहे, जलवायु व धरातलीय समानता के आधार पर देश-दुनिया में पाए जाने वाले ऐसे पौधे भी यहां उगा रहे हैं, जो आर्थिकी को नई ऊंचाइयां दे सकते हैं।

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ऐसा ही प्रयोग मल्टीपल एक्शन ग्रुप फॉर इंटीग्रेटेड सोसाइटी से जुड़े जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर परगने के बैराटखाई गांव निवासी काश्तकार भाव सिंह ने किया है। इन्होंने दक्षिण अमेरिका में उगाए जोन वाले औषधीय पादप योकॉन का उत्पादन बैराटखाई में किया है। प्रयोग के तौर पर बीते वर्ष डेढ़ बीघा जमीन पर योकॉन उगाया गया, जिसके अपेक्षित परिणाम भी मिले। अब वह इसे वृहद स्तर पर उगाने की तैयारी करने के साथ अन्य काश्तकारों को भी इस बारे में जानकारी मुहैया करा रहे हैं।

आमतौर पर पेरू का 'भूरा सेब' के नाम से विख्यात योकॉन का पौधा औषधीय पादप है, जो ठंडे स्थानों पर उगाया जाता है। जौनसार-बावर (देहरादून) के बैराटखाई गांव में इसे उगाने वाले काश्तकार भाव सिंह व मल्टीपल एक्शन ग्रुप फॉर इंटीग्रेटेड सोसाइटी के अध्यक्ष अमित रोहिला ने बताया कि जैविक खेती से जुड़े काश्तकार योकॉन की खेती सिक्किम व शिमला में पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं। 

प्रयोग के तौर पर उत्तराखंड के जौनसार-बावर परगने में भी बीते वर्ष डेढ़ बीघा भूमि में इसकी खेती की गई। यह बारहमासी पौधा है, जिसकी जड़ें (कंद) औषधीय उपयोग में काम आती हैं। 

सगंध पौधा केंद्र सेलाकुई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुनील साह बताते हैं कि औषधीय पादप योकॉन उत्तराखंड के काश्तकारों के लिए नया पौधा है। उत्तरकाशी के मोरी ब्लाक व जौनसार-बावर के कुछ क्षेत्रों में इसका उत्पादन किया जा रहा है। योकॉन के एक पौधे से सात किलो तक स्वास्थ्यवर्धक कंद मिल जाता है। लिहाजा काश्तकारों को इसका आर्थिक लाभ देने के लिए बाजार विकसित किया जाना भी जरूरी है। इस दिशा में प्रयास हो रहे हैं। 

योकॉन के औषधीय गुण

-एंटीआक्सीडेंट: कैफीक एसिड, फेरलिक एसिड व क्लोरोजेनिक योकॉन के पत्तों में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट हैं। जबकि, इसकी जड़ में शरीर को सूजन से रोकने व पुरानी बीमारियों को समाप्त करने वाले औषधीय गुण पाए जाते हैं।

-कम ट्राइग्लिसराइड: योकॉन में फ्रटूलीगोसेकेराइडस होता है, जो कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक है।

-कैंसर की रोकथाम: यह उत्परिवर्ती कोशिकाओं का प्रसार रोककर त्वचा, कोलन व रक्त कैंसर के उपचार में प्रभावी है।

-मधुमेह नियंत्रण: प्राकृतिक स्वीटनर के रूप में उपयोग किया जाता है, जो मधुमेह के रोगियों के लिए चीनी मुक्त मिठास तैयार करने में उपयोगी है। 

हर्बल चिकित्सा: योकॉन को दक्षिण अमेरिका में आदिवासी लंबे समय से गुर्दा व मूत्राशय की समस्याओं से निजात पाने के साथ ही नेफ्रैटिस व मलेरिया की रोकथाम के लिए उपयोग में लाया जाता है।

-एंटी फंगल: त्वचा संबंधी रोगों के निवारण में भी इसका उपयोग प्रभावी होता है।

-कब्ज का इलाज: योकॉन आंतों की गति बढ़ाकर कब्ज को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

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