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नाकामी से निकाली कामयाबी की राह

जागरण संवाददाता, देहरादून: नीट के स्टेट टॉपर ऋतिक चौहान को यह सफलता एक ही बार में नहीं मिली। इसके लि

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jun 2017 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 01:00 AM (IST)
नाकामी से निकाली कामयाबी की राह
नाकामी से निकाली कामयाबी की राह

जागरण संवाददाता, देहरादून: नीट के स्टेट टॉपर ऋतिक चौहान को यह सफलता एक ही बार में नहीं मिली। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और एक साल ड्रॉप भी किया। सबकुछ भुलाकर कड़ी मेहनत की और अब सफलता उनके कदम चूम रही है। जिपमर में ऑल इंडिया 41वीं व एम्स में 55वीं रैंक हासिल करने के बाद यह उनकी लगातार तीसरी बड़ी कामयाबी है।

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अशोक पार्क निरंजनपुर निवासी ऋतिक के पिता विनोद कुमार चौहान एमडीडीए में अवर अभियंता हैं और मा सुंदर देवी गृहिणी। बड़ा भाई शुभम एमटेक कर रहा है। ऋतिक ने गत वर्ष सेंट ज्यूड्स से 95.5 प्रतिशत के साथ 12वीं की। नीट और एम्स की परीक्षा दी, लेकिन परिणाम मन मुताबिक नहीं मिला। एम्स में उनकी रैंक 5382वीं थी तो नीट में 32 हजार पार। परिणाम मन मुताबिक नहीं मिला पर उन्होंने हार नहीं मानी। पिछले तकरीबन एक साल से न तो स्मार्टफोन इस्तेमाल किया और न सोशल मीडिया ही। एक साल की कड़ी मेहनत के बाद अब उन्होंने कामयाबी का नया रिकार्ड कायम किया है। डॉक्टर बनने की प्रेरणा ऋतिक को अपने दादा डॉ. अचपल सिंह चौहान से मिली। वह एक फिजिशियन हैं और बिहारीगढ़ में निजी प्रैक्टिस करते हैं। ऋतिक कहते हैं कि आगे चलकर वह कार्डियोलॉजी में विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं। पहाड़ के दुरूह क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल उन्हें विचलित करता है और वह पर्वतीय क्षेत्र में सेवा देने के इच्छुक हैं। बहरहाल मेडिकल की पढ़ाई के लिए उन्होंने पॉन्डिचेरी स्थित जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान यानी जिपमर जाने का फैसला लिया है। वह कहते हैं कि एग्जाम क्लीयर करने के लिए सही गाइडेंस की जरूरत होती है। अविरल क्लासेस के निदेशक डीके मिश्रा ने बताया कि ऋतिक ने नीट के साथ ही एम्स व जिपमर में भी शानदार सफलता हासिल की है। यह संस्थान के साथ ही पूरे प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।

जरूरी नहीं कि किताबी कीड़ा बनें

ऋतिक का कहना है कि एग्जाम की तैयारी के लिए दिमाग का रिलेक्स होना जरूरी है। यह जरूरी नहीं कि व्यक्ति किताबी कीड़ा बने, बस सभी टॉपिक क्लीयर होने बहुत जरूरी हैं। तनाव से मुक्ति पाने के वह योग का सहारा लेते हैं। उन्हें गिटार बजाना और बैडमिंटन भी खासा पसंद है। अविरल क्लासेज में उन्हें शिक्षकों का सही मार्गदर्शन मिला जिसका नतीजा सामने है।


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