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लोकनृत्यों व नाटकों की प्रस्तुतियों ने मनमोहा

जागरण संवाददाता, देहरादून: दून घाटी रंगमंच के 15वें भारत संस्कृति दर्पण महोत्सव के तीसरे दिन विभिन्न

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 10:14 PM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 10:14 PM (IST)
लोकनृत्यों व नाटकों की प्रस्तुतियों ने मनमोहा
लोकनृत्यों व नाटकों की प्रस्तुतियों ने मनमोहा

जागरण संवाददाता, देहरादून: दून घाटी रंगमंच के 15वें भारत संस्कृति दर्पण महोत्सव के तीसरे दिन विभिन्न प्रदेशों से आए कलाकारों ने जहां लोकनृत्य की प्रस्तुतियों से समां बांध दिया, वहीं शाम को नाटकों की प्रस्तुतियों ने लोगों का मनोरंजन किया।

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मंगलवार को नगर निगम स्थित प्रेक्षागृह में कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि संस्कार भारती की प्रदेश उपाध्यक्ष सविता कपूर ने किया। मुख्य अतिथि ने कहा कि भारत के विभिन्न प्रदेशों की लोक संस्कृतिया एक रंग-बिरंगे गुलदस्ते के समान हैं। हमे अनेकता में एकता के मूल मंत्र को संजोकर रखना चाहिए। इसके बाद लोकनृत्य की प्रस्तुति दी गई। जहां विभिन्न प्रदेशों से आए रंगकर्मियों ने अपनी लोक कलाओं का नृत्य के माध्यम से परिचय कराया। शाम को छह नाटकों का मंचन किया गया। सबसे पहले 'सिंहासन खाली है' का मंचन किया गया। इस नाटक के माध्यम से कलाकारों ने बताया कि पूर्व में सिंहासन के लिए युद्ध होते थे और अब कुर्सियों के लिए। इसके बाद 'औरंगजेब की आखिरी रात', 'बलि', 'केंचुली', 'मौत रातभर क्यूं नहीं आती' व 'अंत लम्हे' की प्रस्तुति देकर कलाकारों ने खूब तालियां बटौरी। इस अवसर पर नीनू सहगल, सोमप्रकाश वाल्मीकि, महेश नारायण, अनिल वर्मा, तीरथ कुकरेजा, सुरेश चंद, बीएस जिंदल, आदेश नारायण, बृजेश नारायण, प्रवीन सैनी, आदित्य राज आदि मौजूद रहे।


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