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फरीदाबाद जा रही बस में यात्रियों को फर्जी टिकट, परिचालक के विरुद्ध शिकायत दर्ज

रोडवेज की साधारण बस कोटद्वार से फरीदाबाद के लिए निकली। चेकिंग के दौरान बस में दो महिला यात्रियों के फर्जी टिकट मिले। चेकिंग टीम ने आरोपी परिचालक के विरुद्ध शिकायत दर्ज करा दी है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 20 Feb 2017 12:47 PM (IST)Updated: Tue, 21 Feb 2017 04:00 AM (IST)
फरीदाबाद जा रही बस में यात्रियों को फर्जी टिकट, परिचालक के विरुद्ध शिकायत दर्ज
फरीदाबाद जा रही बस में यात्रियों को फर्जी टिकट, परिचालक के विरुद्ध शिकायत दर्ज

देहरादून, [जेएनएन]: चुनाव के दौरान चेकिंग का माहौल ठंडा पड़ते ही रोडवेज चालक फिर भ्रष्टाचार पर उतर आए हैं। एक रोज पहले ग्रामीण डिपो की बस में तीन सवारी बेटिकट पकड़ी गई थीं। अब कोटद्वार से फरीदाबाद जा रही साधारण बस में दो महिला यात्रियों को फर्जी टिकट देने का मामला सामने आया है। चेकिंग टीम ने आरोपी परिचालक के विरुद्ध शिकायत दर्ज करा दी है।

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रोडवेज की साधारण बस (यूके07-पीए- 2133) शनिवार रात कोटद्वार से फरीदाबाद के लिए निकली। बस फुल थी। बस में ज्यादातर सवारी ऑनलाइन बुकिंग की थीं। रविवार सुबह दिल्ली क्रॉस करने के बाद निगम मुख्यालय की प्रवर्तन टीम ने चेकिंग के लिए बस रोकी। टीम में टीआइ गुरचरण सिंह और इकबाल अहमद शामिल थे। ऑनलाइन चार्ट की जांच करने पर सभी सवारी ठीक पाई गईं, लेकिन टीम को परिचालक पर शक हो गया।

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इस बस की लंबे समय से शिकायत मिल रही थी। टीम ने यात्रियों के टिकट चेक किए तो दो महिला यात्रियों के टिकट फर्जी निकले। महिलाओं ने बताया कि बस में आते ही उन्होंने परिचालक को किराया दे दिया था। चेकिंग टीम ने जांच में पाया कि जब बस चली तो ऑनलाइन बुकिंग की दो सवारी नहीं आई थीं।

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इसलिए परिचालक वीर सिंह ने दूसरी सवारियां बैठा लीं और इन्हें फर्जी टिकट दे दिया। वे-बिल में दोनों टिकटों की एंट्री दर्ज नहीं थी। चेकिंग टीम की मुख्यालय को भेजी गई रिपोर्ट पर आरोपी परिचालक के विरुद्ध विभागीय जांच बैठा दी गई है। महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि जांच के बाद आरोपी पर कार्रवाई की जाएगी।

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रोडवेज को 'डायबिटीज'

दो साल पहले मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक यूनियन के सम्मेलन में यही कहा था कि भ्रष्टाचार में रोडवेज को 'डायबिटीज' हो चुका है। उनका यह कथन गलत नहीं था। उन्होंने बेटिकट मामलों में चालकों व परिचालकों को सुधार लाने की हिदायत दे रोडवेज को निजी हाथों में देने की पैरवी की थी। इस पर रोडवेज मुख्यालय ने कड़े नियम भी बनाए और चेकिंग दस्ते भी रूट पर उतारे। बावजूद इसके परिचालक बाज नहीं आ रहे।

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