सिस्टम के डंक से डेंगू विकराल
केस एक-दून अस्पताल से पथरीबाग निवासी धीरज को केवल दवा देकर वापस भेज दिया गया। जबकि, उसकी प्लेटलेट्स
केस एक-दून अस्पताल से पथरीबाग निवासी धीरज को केवल दवा देकर वापस भेज दिया गया। जबकि, उसकी प्लेटलेट्स महज सात हजार थीं। विभागीय अधिकारियों के दखल पर उसे भर्ती किया गया।
केस दो-गुड्डी देवी की तबीयत ठीक न होने पर दून अस्पताल के चिकित्सकों ने परिजनों से उसे श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल ले जाने को कहा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी के दखल पर मरीज को आइसीयू में भर्ती किया गया।
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जागरण संवाददाता, देहरादून: ऊपर दिए गए दोनों केस तो बस बानगीभर हैं। दरअसल, डेंगू के डंक ने सरकार के तमाम दावों की हवा निकाल कर रख दी है। डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है और सरकारी व्यवस्थाएं एक-एक कर दम तोड़ रही हैं। सरकारी अस्पतालों में न दवा की पर्याप्त व्यवस्था है, न ही उपचार कार्यो में तेजी दिख रही है। ..और तो और सरकारी अस्पताल पहुंच रहे मरीजों को गंभीर होने के बाद भी भर्ती करने में आनाकानी की जा रही है तो कुछ को निजी अस्पताल जाने का सुझाव दिया जा रहा है।
दून में मेडिकल कॉलेज बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि मरीजों को भरपूर सुविधाएं मिलेंगी। लेकिन, स्थिति बिल्कुल उलट है। मरीजों को दवा तक बाहर से लानी पड़ रही हैं। डेंगू पीड़ितों तक के लिए यहां पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। डॉक्टर केवल मरीजों की जाच कर जिम्मेदारी से इतिश्री कर ले रहे हैं। स्थिति गंभीर होने पर भी मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा या तो उन्हें दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जा रहा है। धीरज और गुड्डी के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ। बाद में अफसर उन्हें भर्ती कराकर तो चले गए, लेकिन परिजनों को दवा तक बाहर से लानी पड़ रही है। इसके अलावा 'ए' पॉजिटिव ब्लड ग्रुप की प्लेटलेट्स भी अस्पताल में नहीं मिलीं। परिजन आइएमए ब्लड बैंक से प्लेटलेट्स लेकर आए।
वरिष्ठ पैथोलॉजिस्ट डॉ. एनके मिश्रा का कहना है कि प्लेटलेट्स की आयु मात्र पाच दिन होती है। इसके बाद वह बेकार हो जाती हैं। डॉक्टर की सलाह पर ही उस ग्रुप की प्लेटलेट्स दी जाती हैं। अस्पताल में डेंगू पीड़ित कई मरीज हैं। एक मरीज को सात से आठ एमएल प्लेटलेट्स दी जाती हैं। 'ए' पॉजीटिव ब्लड अस्पताल में नहीं था, इसलिए प्लेटलेट्स बाहर से मंगाई गईं।
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आइसीयू में बेड खाली न होने के कारण मरीज रेफर करने की बात कही गई। बेड खाली होते ही उसे भर्ती किया गया। मरीजों को प्लेट्लेट्स उपलब्ध कराए जाने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।
-डॉ. वाईएस थपलियाल, प्रभारी मुख्य चिकित्साधिकारी
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मच्छर मारने को चाहिए एक्सपर्ट टीम
देहरादून: डेंगू के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. कुसुम नरियाल ने पथरीबाग क्षेत्र का निरीक्षण किया। इस दौरान क्षेत्रवासियों ने उनका घेराव कर डेंगू के मच्छर को मारने के लिए एक्सपर्ट टीम लाए जाने की माग की। यह भी आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारी व कर्मचारी क्षेत्र में आकर मात्र खानापूर्ति कर रहे हैं। इस पर महानिदेशक ने सख्ती बरतते हुए अधिकारियों को व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।
मंगलवार को स्वास्थ्य महानिदेशक और प्रभारी मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वाईएस थपलियाल पथरीबाग पहुंचे। डॉ. नरियाल ने सभी अधिकारियों को कैंप में आने वाले लोगों को जागरूक करने का निर्देश देने के साथ ही सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने को कहा। उन्होंने पूरे क्षेत्र में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करवाया। इस दौरान क्षेत्रवासियों ने उनसे विभागीय अधिकारियों द्वारा जागरुकता कैंप व फॉगिंग के नाम पर खानापूर्ति करने की शिकायत की। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि खुद ही आकर लोगों के घर में लार्वा ढूंढ रहे हैं। टीम केवल फॉगिंग करके चली जाती है। जबकि, लोगों को लार्वा की पहचान ही नहीं है। स्वास्थ्य महानिदेशक ने अधिकारियों को इस विषय में विस्तृत जानकारी देने के निर्देश दिए। इस दौरान आलोक कुमार, जगदीश प्रसाद बहुगुणा, सुरेश, अमीता देवी, सीमा समेत अन्य क्षेत्रवासी भी उपस्थित रहे।