मुश्किल में फंसे ऊर्जा निगम के एमडी
राज्य ब्यूरो, देहरादून: अधिवर्षता आयु (60 वर्ष) पूर्ण होने के बावजूद मिले सेवा विस्तार के मामले में
राज्य ब्यूरो, देहरादून: अधिवर्षता आयु (60 वर्ष) पूर्ण होने के बावजूद मिले सेवा विस्तार के मामले में ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक एसएस यादव की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। भाजपा नेता रविंद्र जुगरान की शिकायत पर मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने इस पूरे मामले में प्रमुख सचिव ऊर्जा डा. उमाकांत पंवार से विस्तृति रिपोर्ट तलब की है। भाजपा नेता जुगरान ने अपने शिकायती पत्र में ऊर्जा निगम के एमडी पर कई अन्य गंभीर अनियमितताओं के आरोप भी लगाए हैं। उधर, निगम के एमडी यादव का कहना है कि उन्होंने निगम हित में काम किए हैं। साथ ही, हर प्रकार की जांच के लिए भी तैयार हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता जुगरान ने बुधवार को मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह से मुलाकात कर उत्तराखंड पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक सुमेर सिंह यादव के खिलाफ एक शिकायती पत्र सौंपा। पत्र में उन्होंने कहा कि ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक के पद पर 13 मई 2014 को कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष अथवा 60 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक एसएस यादव को नियुक्ति दी गई थी। उनकी अधिवर्षता आयु (60 वर्ष) 24 जनवरी 2016 को पूर्ण हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद भी वे पद पर बने हुए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि अधिवर्षता आयु पूर्ण होने पर नियमानुसार किसी भी संरचनात्मक ढांचागत पद पर किसी व्यक्ति को सेवा विस्तार या पुन: नियुक्ति नहीं दी जा सकती। अपरिहार्य परिस्थति में यदि ऐसा हो, तो उसे वित्तीय अधिकार प्रदान नहीं किए जा सकते, लेकिन यादव को सेवा विस्तार देने के प्रस्ताव में उक्त सभी महत्वपूर्ण शासनादेश का संज्ञान नहीं लिया गया। प्रबंध निदेशक के पद पर उनके सेवा विस्तार से पहले योग्य व्यक्ति की तैनाती के प्रयास नहीं किए गए। उनकी अधिवर्षता आयु पूर्ण होने से करीब ढाई माह पूर्व उन्हें सेवा विस्तार दे दिया गया।
लिहाजा, उनको मिला सेवा विस्तार पूरी तरह अवैध है, जिसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए। जुगरान ने यादव पर मनमाने ढंग से कई अनियमित कार्य करने का भी आरोप लगाया। मुख्य सचिव ने प्रमुख सचिव ऊर्जा डा. उमाकांत पंवार से इस पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की है। उधर, निगम के एमडी एसएस यादव का कहना है कि उन्होंने निगम हित में काम किए हैं और आगे भी करते रहेंगे। जो भी फैसले हुए हैं, वे शासन स्तर से या निगम बोर्ड स्तर से किए गए हैं। उन्होंने कोई भी अनियमित कार्य नहीं किया है। साथ ही, वे हर प्रकार की जांच के लिए भी तैयार हैं।
इनसेट..
ये गंभीर आरोप भी लगाए..
-राज्य में तैनाती से पूर्व दक्षिण हरियाणा बिजली निगम हिसार में बिल्डर को लाभ पहुंचाने के आरोप में हुए निलंबित।
-पिटकुल के एमडी पद पर तैनाती के दौरान उत्तराखंड व हरियाणा दोनों जगहों से महंगाई भत्ता लेने के दोषी पाए गए।
-इस पर शासन ने किए थे कार्रवाई शुरू करने व प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश।
-ऊर्जा निगम के दो अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना करते हुए अवैधानिक पदोन्नति देने का आरोप।
-लोनिवि द्वारा 120 रुपये प्रति घन मीटर की दर से होने वाले गढ्डा खोदने के काम 1000 रुपये प्रति घन मीटर की दर से कराए जा रहे।