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माघ मेले में गहरे हुए संस्कृति के रंग

जागरण संवाददाता, देहरादून: 'उत्तराखंड माघ मेला' के दूसरे दिन लोक संस्कृति के रंग और गहरे हुए। आकर्षण

By Edited By: Published: Sun, 14 Feb 2016 01:02 AM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2016 01:02 AM (IST)
माघ मेले में गहरे हुए संस्कृति के रंग

जागरण संवाददाता, देहरादून: 'उत्तराखंड माघ मेला' के दूसरे दिन लोक संस्कृति के रंग और गहरे हुए। आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा भोटिया जनजाति का 'छोलिया' नृत्य। दिनभर हुई बारिश के बावजूद मेले की आभा लोगों को अजबपुर स्थित टीएचडीसी मैदान खींच ले आई। कार्यक्रम निर्धारित समय से करीब तीन घंटे देर से शुरू हुआ, पर लोग लोक संस्कृति के विभिन्न रंगों से सराबोर होने का इंतजार करते रहे।

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जौनसार बावर क्षेत्र विकास समिति की ओर से तीन दिवसीय 'उत्तराखंड माघ मेला' के दूसरे दिन का शुभारंभ यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने किया। चकराता लोक कला मंच ने नंदलाल भारती के नेतृत्व में हारुल, तांदी और छैता नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। इसके बाद जौनसार बावर पौराणिक लोक कला मंच लोहारी लोखंडी ने कुंदन चौहान के नेतृत्व में घुंडिया रासू नृत्य की शानदार प्रस्तुति से समां बांधा और जौनसार की समृद्ध संस्कृति के दर्शन कराए। लोक गायक मनोज राणा और गायिका रेखा धस्माना ने गीतों की प्रस्तुति देकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने कहा कि जौनसारी, भोटिया, धारू, राजी और बोक्सा जनजाति के साथ गढ़वाल व कुमाऊं की सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। इसमें कला-संस्कृति से जुड़े लोग अहम भूमिका निभा सकते हैं।

इस मौके पर जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रामशरण नौटियाल, जौनसार बावर क्षेत्र विकास समिति के अध्यक्ष गीतराम गौड़, मूरतराम शर्मा, मुकेश पंवार, विजय राणा, एसएस चौहान, आनंद चौहान, सुशील गौड़, भारत चौहान, नरेंद्र सिंह, दिनेश पंवार आदि मौजूद रहे।


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