एआइसीटीई ने मान्यता मानकों में दी ढील
जागरण संवाददाता, देहरादून: बीते दो-तीन वर्षो में तेजी से छात्रों का इंजीनिय¨रग और ंव्यावसायिक शिक्षा
जागरण संवाददाता, देहरादून: बीते दो-तीन वर्षो में तेजी से छात्रों का इंजीनिय¨रग और ंव्यावसायिक शिक्षा से मोह भंग हुआ है। इसके चलते संस्थान भी बंदी की कगार पर पहुंच रहे हैं, साथ ही देशभर में हर साल दर्जनों संस्थान अन्य शिक्षण क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं। वहीं, उत्तराखंड की बात करें तो बीते एक साल में पांच संस्थान बंद हो चुके हैं और मौजूदा संस्थानों में भी महज 38 फीसद सीटें ही भरी जा सकी हैं। इस स्थिति को देखते हुए अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एआइसीटीई) ने मान्यता के लिए मानकों में राहत दी है।
हाल ही में एआइसीटीई ने सत्र 2016-17 के लिए मान्यता के नए मानक जारी किए। इन मानकों में निजी शिक्षण संस्थानों के प्रति ढील बरती गई है। संस्थानों का तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा से कम होता मोह और शहरी क्षेत्रों में भूमि और संसाधनों पर हो रहे खर्च के सापेक्ष कम छात्र संख्या को देखते हुए यह फैसला किया गया है। नए मानकों के तहत अब शिक्षण संस्थानों को शत-प्रतिशत पदों पर नियमित नियुक्ति नहीं करनी होगी। संस्थान अब 80 फीसद पदों पर स्थायी तैनाती और 20 फीसद पदों को विजिटिंग फैकल्टी व व्यावसायिक विशेषज्ञों से भर सकेंगे। एआइसीटीई ने संस्थानों को कंप्यूटर छात्र अनुपात में भी राहत दी है। अब संस्थान को चार के बजाय छह छात्रों पर एक कंप्यूटर की व्यवस्था करनी होगी। संस्थानों को कक्षों की संख्या में भी राहत दी गई है। पहले की तुलना में अब संस्थानों को 25 फीसद की राहत कक्षों की संख्या में दी गई है। संस्थानों को भूमि के मानकों में भी 25 फीसद की राहत प्रदान की गई है।
एआइसीटीई के नए मानकों को लेकर तुलाज इंस्टीट्यूट की कार्यकारी निदेशक सिल्की जैन ने कहा कि इससे संस्थानों को राहत मिलेगी और वे ज्यादा सहजता से तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा के विकास के लिए काम कर सकेंगे। विपिन त्रिपाठी राजकीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वाराहाट के निदेशक प्रो. आरके सिंह का कहना है कि मौजूदा वक्त की जरूरत को देखते हुए परिषद ने संस्थानों को राहत प्रदान कर अच्छी पहल की है।