जेनरिक दवा से खुली मुफ्त जांच की राह
राज्य ब्यूरो, देहरादून: आमजन को सस्ती व सुलभ चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग न
राज्य ब्यूरो, देहरादून: आमजन को सस्ती व सुलभ चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने बेहतर वित्तीय प्रबंधन की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त डाइग्नोस्टिक (जांच) सुविधा की योजना राज्य सरकार की इसी कवायद का नतीजा है। सरकारी अस्पतालों के लिए हाल में लागू हुई शत-प्रतिशत जेनरिक दवा खरीद से सालाना करीब 30 करोड़ की बचत का अनुमान है। इसी बचत के जरिए सरकारी अस्पतालों में 36 प्रकार की डाइग्नोस्टिक सेवाएं निशुल्क होने जा रही हैं।
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अब तक सिर्फ बीपीएल परिवारों को ही पूरी तरह से निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो रही है, मगर राज्य सरकार मार्च 2016 से हर श्रेणी के मरीज को निशुल्क डाइग्नोस्टिक सेवाओं का लाभ भी देने जा रही है। इस योजना के अंतर्गत फिलहाल अस्पतालों में उपलब्ध 36 प्रकार की जांचें सभी मरीजों के लिए निशुल्क होंगी। हालांकि, सरकार ने प्राईवेट अस्पतालों में भी निशुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारी शुरू कर दी।
दरअसल, प्रदेश में हाल में लागू की गई शत-प्रतिशत जेनरिक दवा खरीद की नीति के जरिए ही निशुल्क डाईग्नोस्टिक सेवाओं का रास्ता साफ हो पाया है। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ओमप्रकाश का कहना है कि जिन ब्रांडेड दवाओं की अब तक अस्पतालों में खरीद की जाती थी, उनके जेनरिक साल्ट की लागत औसतन चार से 20 गुना कम हो जाएगी। अस्पतालों में ब्रांडेड के बदले जेनरिक दवाएं खरीदने से स्वास्थ्य विभाग को प्रतिवर्ष लगभग 30 करोड़ रुपये की बचत होगी।
अकेले हीमोफीलिया की जेनरिक दवा की खरीद से ही सालाना दो करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। दवा खरीद की नई नीति के जरिए होने वाली इस बचत का सदुपयोग स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर और सुलभ बनाने में किया जाएगा। अस्पतालों में निशुल्क डाइग्नोस्टिक सेवाएं उपलब्ध कराने की योजना विभाग की इसी रणनीति का हिस्सा है। यह योजना तत्काल लागू करने के लिए विभाग को प्रतिवर्ष करीब 25 करोड़ रुपये की जरूरत है। बचत की शेष धनराशि से अन्य सेवाओं को बेहतर बनाया जाएगा।