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ऊर्जा संकट से निजात देगा बेहतर संसाधन प्रबंधन

जागरण संवाददाता, देहरादून : संसाधनों के प्रबंधन से ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं पैदा की जा सक

By Edited By: Published: Fri, 05 Feb 2016 07:24 PM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2016 07:24 PM (IST)

जागरण संवाददाता, देहरादून : संसाधनों के प्रबंधन से ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं पैदा की जा सकती हैं। नए संसाधन विकसित करना मुश्किल है, लेकिन मौजूदा संसाधनों को बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर ऊर्जा की किल्लत से मुक्ति पाई जा सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज(यूपीईएस) में 'इंटरनेशनल कांफ्रेस ऑन मैनेजमेंट ऑफ इन्फ्रास्ट्रक्चर' के शुभारंभ पर योजना आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. किरिट एस. पारिख ने कहा कि उत्तराखंड में जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन से विद्युत की परेशानी को हल किया जा सकता है।

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शुक्रवार को यूपीईएस के सभागार में केंद्रीय उच्च शिक्षा विभाग की पूर्व सचिव विभा पुरी और यूपीईएस के अध्यक्ष उत्पल घोष ने संगोष्ठी का शुभारंभ किया। इस मौके पर विभा पुरी ने कहा कि विश्वविद्यालय ज्ञान का केंद्र है, लेकिन यह ज्ञान समाज के हर तबके तक पहुंचे, तभी इसकी सार्थकता है। उन्होंने कहा कि समाज के विकास में शिक्षण संस्थानों की अहम भूमिका है। यूपीईएस के अध्यक्ष उत्पल घोष ने कहा कि राज्य के विकास के लिए यूपीईएस हमेशा तत्पर है। इसके लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही कुछ करार सरकार के साथ होंगे।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से प्रो. अनुपमा सेन ने वीडियो काफ्रेंस के जरिये अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत में विकास के साथ ऊर्जा की मांग भी बढ़ रही है और आने वाले सालों में इसमें और वृद्धि होगी। ऐसे में सभी संबंधित पक्षों को इसकी आपूर्ति और खर्च पर मंथन करने के लिए एक मंच पर आना होगा। संगोष्ठी के समन्वयक डॉ. तरुण ढींगरा ने बताया कि चार समानांतर सत्रों में अलग-अलग विषय विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। इस दौरान 25 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। यूपीईएस के मीडिया एवं राजकीय मामलों के निदेशक अरुण ढांड ने बताया कि संगोष्ठी के दूसरे दिन पर्यावरण पर प्रख्यात पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का व्याख्यान होगा। संगोष्ठी के बाद शाम का सत्र सांस्कृतिक गतिविधियों के नाम रहा।


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