शोध परियोजनाओं को किया जाएगा प्रोत्साहित
जागरण संवाददाता, देहरादून: तीन दिवसीय 30वीं हिमालय-कराकोरम-तिब्बत कार्यशाला देश-विदेश के 172 शोधों क
जागरण संवाददाता, देहरादून: तीन दिवसीय 30वीं हिमालय-कराकोरम-तिब्बत कार्यशाला देश-विदेश के 172 शोधों के आदान-प्रदान के साथ संपन्न हो गई। इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री वाईएस चौधरी ने शोध परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने की बात कही। अगले वर्ष एचकेटी कार्यशाला का आयोजन फ्रांस में किया जाएगा।
गुरुवार को वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन स्टडीज में कार्यशाला के समापन समारोह का शुभारंभ करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री वाईएस चौधरी ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र के अध्ययन को लेकर आयोजित की गई कार्यशाला एक सराहनीय प्रयास है। विज्ञानियों को प्रयास करने चाहिए कि हिमालय पर आश्रित लोगों के जीवन में शोधों के जरिये किस तरह से सुधार किए जाएं। आपदा प्रबंधन के लिहाज से भी काम होने चाहिए, ताकि आपात स्थिति में जानमाल के नुकसान को कम किया जा सके। वैज्ञानिक काम करते रहें, उनकी शोध परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा।
इस दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री ने वाडिया संस्थान के म्यूजियम का निरीक्षण कर हिमालय की उत्पत्ति व इतिहास से जुड़ी जानकारी हासिल की। नैनीताल के सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने हिमालय को जीवन देने वाले प्राकृतिक संसाधनों का घर बताते हुए कहा कि इसका आध्यात्मिक महत्व भी अपार है।
विभिन्न देशों से आए विशेषज्ञों ने कार्यशाला को जानकारी का खजाना बताते हुए कहा कि इससे न सिर्फ हिमालय को समझने में तमाम डाटा प्राप्त हुआ है, बल्कि नई खोजों के लिए कई आइडिया भी मिले हैं। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. एके गुप्ता, वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. राजेश शर्मा, डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।
मेहमानों की खातिर बोली टूटी-फूटी अंग्रेजी
नैनीताल सांसद भगत सिंह कोश्यारी जब कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित करने पहुंचे तो उन्होंने ¨हदी के बजाए अंग्रेजी का प्रयोग किया। आते ही उन्होंने कहा कि वैसे वह हमेशा ¨हदी का प्रयोग करते हैं, मगर विदेशी मेहमानों की खातिर उन्हें अंग्रेजी में बोलना पड़ रहा है। उन्होंने टूटी-फूटी अंग्रेजी व कमजोर उच्चारण के साथ ही कार्यशाला को संबोधित किया। इससे कई बार गफलत की स्थिति भी पैदा हो गई।