5000 केंद्रीय कर्मियों ने भी भरी हुंकार
जागरण संवाददाता, देहरादून: दून में विभिन्न केंद्रीय संस्थानों के 5000 से अधिक कर्मचारी भी हड़ताल पर र
जागरण संवाददाता, देहरादून: दून में विभिन्न केंद्रीय संस्थानों के 5000 से अधिक कर्मचारी भी हड़ताल पर रहे। कर्मचारियों ने सुबह ही संस्थानों के बाहर मोर्चा जमा लिया था और किसी भी कार्मिक को कार्यालय में प्रवेश नहीं करने दिया। इस दौरान भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ (बीपीएमएस) से जुड़े कर्मचारी कार्य करने के लिए ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री (ओएलएफ) व ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में प्रवेश करने लगे, मगर ऑल इंडिया डिफेंस इंप्लाइज फेडरेशन ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। इससे दोनों पक्षों में विवाद की स्थिति पैदा हो गई। यूनियन के कुछ कर्मचारियों ने तो विरोध के लिए हाथों में पत्थर तक उठा लिए थे। हालांकि, बाद में आपसी सहमति बनने पर बीपीएमएस के कर्मचारी वापस लौट आए।
बुधवार को दून में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री, ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री, डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लिकेशंस लेबोरेटरी (डील), यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आइआरडीई), नेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑर्गेनाइजेशन (एनएचओ), मिलिट्री इंजीनिय¨रग सर्विस (एमईएस) आदि रक्षा संस्थानों के कर्मियों समेत ओएनजीसी कॉन्ट्रेक्ट इंप्लाइज यूनियन ने केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में आवाज बुलंद की। श्रमिक संगठनों से जुड़े सभी कर्मचारी हड़ताल पर रहे और अपने-अपने संस्थानों के समीप प्रदर्शन किया। केंद्रीय विद्यालय ऑर्डिनेंस फैक्ट्री रायपुर सुबह खुला था, लेकिन ऑल इंडिया डिफेंस इंपलाइज फेडरेशन के बैनर तले आंदोलनरत रक्षा कर्मचारियों के पहुंचने पर विद्यालय बंद कर दिया गया। हड़ताल को सफल बनाने के लिए फेडरेशन ने रायपुर रोड को पत्थरों से बंद कर दिया था। हड़ताल की गतिविधि शांति से चल रही थी कि तभी बड़ी संख्या में बीपीएमएस से जुड़े कर्मचारी ड्यूटी करने के लिए ओएलएफ व ओएफडी फैक्ट्री की तरफ जाते दिखाई दिए। फेडरेशन से जुड़े कर्मियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, मगर उन्होंने हड़ताल से इन्कार करते हुए कहा कि उनकी कुछ मांगों पर केंद्र सरकार ने अपनी सहमति दे दी है, लिहाजा वह आंदोलन से दूर हैं। इससे ऑल इंडिया डिफेंस इंप्लाइज फेडरेशन के कर्मचारी भड़क उठे। दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की भी होने लगी। इतने में किसी ने बीपीएमएस के एक कर्मचारी पर थप्पड़ जड़ दिया। इससे मामला और बिगड़ गया। कुछ कर्मचारियों ने हाथों में पत्थर भी उठा लिए। विवाद बढ़ता देख दोनों पक्षों के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बीच-बचाव कर स्थिति को नियंत्रण में किया। इसके बाद भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ ने भी कदम पीछे खींच लिए।
हड़ताल से पांच करोड़ का काम प्रभावित
आल इंडिया डिफेंस इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अनिल उनियाल व जगदीश छिमवाल ने बताया कि इस हड़ताल से रक्षा संस्थानों में पांच करोड़ रुपये से अधिक का कार्य प्रभावित हुआ। खासकर ओएफडी व ओएलएफ में बाधित कार्य अब तीसरे दिन ही पटरी पर आ पाएगा। कारण यह कि एक बार काम रुक जाने पर पूरी प्रक्रिया दोबारा शुरू करनी पड़ती है। अनिल उनियाल ने कहा कि यह हड़ताल सिर्फ चेतावनी थी, यदि अभी भी सरकार ने कर्मचारियों की मागें नहीं मानी तो 23 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। प्रदर्शन करने वालों में उमाशकर, प्रदीप कुमार, एसबी नौटियाल, अशोक शर्मा, सीएल काठौर, कैलाश, ध्यान सिंह, राजवीर सिंह, धीरज सिंह समेत सैकड़ों कर्मचारी शामिल थे।
रक्षा कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
-रक्षा क्षेत्र व रेलवे में एफडीआइ की अनुमति न दी जाए।
-नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।
-औद्योगिक ट्रेडों में नई भर्ती सीधे स्किल्ड ग्रेड में की जाए।
-रक्षा क्षेत्र में ठेका प्रथा समाप्त की जाए।
-ओवरटाइम की गणना में एचआरए, टीए, एसएफएस को शामिल किया जाए।
-आयकर सीमा पांच लाख रुपये हो।
-अनुकंपा के आधार पर भर्ती की अड़चनों को दूर किया जाए।
-डीआरडीओ समाप्त करने की प्रो. रामाराव समिति की रिपोर्ट को निरस्त किया जाए।
ओएनजीसी कॉन्ट्रेक्ट कर्मियों की मांग
-न्यूनतम वेतन 15 हजार रुपये करना।
-ईएसआइ सीलिंग 25 हजार रुपये की जाए।
-समान कार्य-समान वेतन
-बोनस की सीलिंग में बढ़ोत्तरी।
-संविदा कर्मियों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ।