पिटकुल प्रबंधन और कर्मचारियों में ठनी
जागरण संवाददाता, देहरादून: पिटकुल कर्मचारियों की 31 सूत्रीय मांगों को लेकर वार्ता करने पहुंचे उत्तरा
जागरण संवाददाता, देहरादून: पिटकुल कर्मचारियों की 31 सूत्रीय मांगों को लेकर वार्ता करने पहुंचे उत्तराखंड ऊर्जा कामगार संगठन के पदाधिकारी और पिटकुल प्रबंधन में विवाद हो गया। संगठन का आरोप है कि प्रबंधन सिर्फ पांच पदाधिकारियों से वार्ता करने पर अड़ा था और विरोध करने पर वीडियोग्राफी करने लगा। इस पर संगठन के लोग भड़क गए और उन्होंने पिटकुल परिसर में हंगामा शुरू कर दिया। संगठन पदाधिकारी धरने पर बैठ गए और प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की।
बाद में संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों के समझाने पर वह शांत हुए। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष राकेश शर्मा ने बताया कि कर्मचारी हित देखते हुए प्रबंध निदेशक एसएस यादव को वार्ता के लिए बुलाने को पत्र भेजा गया, लेकिन फिर उन्हें वार्ता को बुलाया ही नहीं गया और प्रबंध निदेशक वहां से चले गए। इस पर कर्मचारियों का गुस्सा और भड़क गया। कर्मचारियों के तेवर देख प्रबंधन ने पुलिस बुला ली। साथ ही संगठन को एक नोटिस जारी कर दिया। इसमें कोर्ट के एक आदेश के हवाले से परिसर की 200 मीटर परिधि में धरना-प्रदर्शन प्रतिबंधित बताते हुए धरना खत्म करने को कहा। प्रबंधन ने संगठन के कुछ पदाधिकारियों पर ¨हसक तेवर अपनाने का आरोप भी लगाया है। नोटिस मिलने के बाद कर्मचारी परिसर से उठकर 200 मीटर दूर धरने पर बैठ गए। देर रात तक धरना जारी था।
संगठन के प्रदेशाध्यक्ष राकेश शर्मा ने बताया कि पिछली वार्ता मई 2013 में हुई थी। उसके बाद से प्रबंधन वार्ता को समय ही नहीं दे रहा था। प्रबंधन का रवैया कर्मचारी विरोधी है। इससे कर्मचारियों में आक्रोश है। रही बात नोटिस की तो प्रबंधन के रवैये से कर्मचारी धरने पर बैठने को मजबूर हुए। प्रबंधन को जवाब भेजा जा रहा है।
इस मौके पर संगठन के संरक्षक एपी अमोली, प्रमुख महामंत्री केएस रौतेला, महामंत्री विजय बिष्ट, अतिरिक्त महामंत्री दीपक बेनीवाल, लक्ष्मण मौर्य, नरेश पाल, प्रशांत ध्यानी आदि मौजूद रहे।
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वार्ता 50 लोगों से नहीं हो सकती। इसलिए कर्मचारियों के पांच प्रतिनिधियों से वार्ता को कहा था। संगठन का एक धड़ा इस पर राजी हो गया। लेकिन, आपसी फूट के कारण एक धड़े ने हंगामा शुरू कर दिया। संगठन को नोटिस दिया है कि जल्द से जल्द धरना खत्म करे, वरना प्रबंधन नियमानुसार कार्यवाही करेगा। हंगामे के कारण अन्य कर्मचारी संगठनों से भी वार्ता स्थगित करनी पड़ी।
-एसएस यादव, प्रबंध निदेशक, पिटकुल
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प्रमुख मांगें
-31 मार्च, 2009 तक अनुमन्य समयबद्ध वेतनमान और एसीपी योजना को यथावत रखा जाए।
-वेतन ढांचे में ग्रेड वेतन की विसंगतियां श्रम संगठनों के प्रस्ताव के अनुरूप दूर की जाएं।
-चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए कैश लेश योजना लागू की जाए।
-आशु लिपिकों की पीए-पीएस पदों पर पदोन्नति की जाए।
-लंबित एसीपी अविलंब स्वीकृत हो।
-30 सितंबर 2005 तक सेवा में आए कार्मिकों को जीपीएफ पेंशन का लाभ दिया जाए।
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