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एमडीडीए ने शहर को संवारा नहीं, बिगाड़ दिया

जागरण संवाददाता, देहरादून: राज्य बनने से पहले जो क्षेत्र खाली पड़े थे और जिनमें भविष्य के सुंदर दून क

By Edited By: Published: Mon, 27 Apr 2015 08:47 PM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2015 08:47 PM (IST)

जागरण संवाददाता, देहरादून: राज्य बनने से पहले जो क्षेत्र खाली पड़े थे और जिनमें भविष्य के सुंदर दून का अक्स नजर आ रहा था, वे आज कंक्रीट के जंगल बन गए हैं, जहां अवैध निर्माणों की बाढ़ सी आ गई है। न ले-आउट की चिंता, न सड़क और ड्रेनेज की, बस भवन पर भवन खड़े होते चले गए। कहीं नक्शा पास नहीं, तो कहीं नक्शा पास होने के बाद भी उसके अनुरूप निर्माण नहीं किया गया। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के ही आठ सेक्टरों में अधिकारियों की नाक के नीचे मानकों को ताक पर रखकर 16 हजार 788 भवन खड़े कर दिए गए। इन सेक्टरों के करीब दो दर्जन क्षेत्रों में स्थिति अत्यंत विकट है। सीधे शब्दों में कहें तो प्राधिकरण की अनदेखी के कारण ही सुंदर दून के ख्वाब पर ग्रहण लग गया।

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अवैध निर्माण के ये आंकड़े कुल अवैध निर्माण के 75 फीसद से अधिक हैं। यानी कम आबादी वाले जिन क्षेत्रों में शत-प्रतिशत सुनियोजित विकास किया जा सकता था, वहां सुनियोजित जैसा कुछ हुआ ही नहीं। जाहिर है इतनी भारी संख्या में अवैध निर्माण रातों-रात नहीं हो गए, बल्कि अधिकारियों के सामने शहर की सूरत बिगड़ती चली गई। एमडीडीए के रेकार्ड के मुताबिक जितने वैध निर्माण अस्तित्व में आ रहे हैं, उसके 30 फीसद अवैध रूप से भी बन रहे हैं। गंभीर यह कि कुछ समय पहले ही अस्तित्व में आए सेक्टर 9, 10, 11 व 12 में भी अवैध भवन तेजी से खड़े हो रहे हैं।

सेक्टरवार अवैध निर्माण (वर्तमान में जो चल रहे)

सेक्टर-अवैध निर्माण

01-2882

02-2711

03-2601

04-2388

05-953

06-1604

07-2077

08-1572

09-246

10-277

11-386

12-290

यहां अवैध निर्माण की बाढ़

सेक्टर 01: देहराखास, अजबपुर कलां, अजबपुर खुर्द, देहरादून-हरिद्वार बाइपास रोड, कारगी, सरस्वती विहार आदि।

सेक्टर 02: आइएसबीटी से अजबपुर कलां-केदारपुर व सहारनपुर रोड की सीमा से सटे सभी क्षेत्र।

सेक्टर 03: बदरीपुर, जोगीवाला, मोथरोवाला, दून यूनिवर्सिटी रोड, केदारपुरम्, बंगाली कोठी आदि इलाके।

सेक्टर 04: हर्रावाला, बालावाला, मियांवाला, मोहकमपुर, नत्थनपुर, माजरी आदि।

सेक्टर 05: मसूरी रोड, रिंग रोड, लाडपुर।

सेक्टर 06:गुजराडा मानसिंह कृषाली, कुल्हान , आमवाला तलर

सेक्टर 07: राजपुर माफी, ढाकपट्टी, जाखन, मालसी आदि।

सेक्टर 08: हाथीबड़कला, डोभालवाला, कौलागढ़, बगराल पल्टन आदि।

जहां बिल्डर-प्रॉपर्टी डीलर सक्रिय, वहीं 'सत्यानाश'

दून में राजधानी बनने के बाद जिस तरह जमीनों का धंधा बढ़ा, उसी अनुपात में अवैध निर्माण भी बढ़ते चले गए। मुनाफा कमाने के लिए बिल्डरों-प्रॉपर्टी डीलरों ने बिना ले-आउट पास कराए प्लाट काटे और अधिकारी भी आंख मूंदे खड़े रहे। खून-पसीने की कमाई लगाकर आम लोग घर बनाने को जमीन का एक टुकड़ा खरीदते हैं तो एमडीडीए इन्हें सौ नियम गिनाने लगता है। जब बात नहीं बनती तो लोग नियम की परवाह किए बिना निर्माण शुरू कर देते हैं। बिल्डरों पर नरम और आम जनता पर निगाह टेढ़ी करने की प्रवृत्ति भी अवैध निर्माण का कारण बनती है।

एमडीडीए की जिम्मेदारी, जो निभाई नहीं जा रही

-बिना नक्शा पास किए कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता।

-भवन के नक्शे से पहले संबंधित जमीन का ले-आउट पास होना भी जरूरी।

-बिना सड़क, जल निकासी आदि सुविधा वाले भूखंड पर भवन नहीं बनाया जा सकता।

-बहुमंजिला भवनों के लिए अधिक निर्माण के हिसाब से चौड़ी सड़क, उचित जल निकासी के साथ ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, हरियाली, वर्षा जल संग्रहण जैसी अनिवार्यता भी है।

हमसे साझा करें शिकायत: यदि आपके किसी इलाके, कॉलोनी में कोई अवैध निर्माण हो रहा है या आवास संबंधी कोई समस्या है तो आप जागरण से नीचे दिए गए नंबर पर एसएमएस या ईमेल कर शिकायत साझा कर सकते हैं।

मो. 9897588552

ईमेल:=======

आज का सवाल: अधिकारियों की सुस्ती के कारण बढ़ रहे हैं अवैध निर्माण।


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