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गांव तक ही सिमट गए गांव के खेल

जागरण संवाददाता, देहरादून: ग्रामीण खेलों का आयोजन तो हर वर्ष होता है। लेकिन, धरातल पर न तो खेल का फी

By Edited By: Published: Sat, 28 Mar 2015 08:50 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2015 08:50 PM (IST)

जागरण संवाददाता, देहरादून: ग्रामीण खेलों का आयोजन तो हर वर्ष होता है। लेकिन, धरातल पर न तो खेल का फीडर काडर बन रहा है, न ग्रामीण क्षेत्रों से प्रतिभाएं आगे आ पा रही हैं। पंचायतों की पहचान माने जाने वाले खो-खो, कबड्डी और वॉलीबाल जैसे खेलों का हाल सबसे ज्यादा खराब है। युवा कल्याण विभाग अब तक पंचायतों के माध्यम से कोई बड़ा खिलाड़ी उभारकर सामने नहीं ला पाया है। ग्रामीण खेलों में मैदान और खिलाड़ियों को खेल की तकनीकी जानकारी का पक्ष भी हमेशा नजरंदाज रहता है।

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गांव की प्रतिभाओं को तराश कर उन्हें फलक देने की केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है पायका। जिसका उद्देश्य ग्राम स्तर पर विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन कर प्रतिभाओं को निखारना है। इसके अंतर्गत विभाग ने ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिता पर 2014-15 में जनपद में कुल 12 लाख रुपये खर्च किए। यह सभी 16 खेल प्रतियोगिताएं नवंबर से जनवरी के मध्य होती हैं। गौरतलब है कि विभाग खेलों का आयोजन तो कर रहा है, लेकिन पंचायत व ब्लॉक स्तर पर खेल व खिलाड़ियों के हालात नहीं बदल रहे। ज्यादातर पंचायतों में खेल का ढांचा तक विकसित नहीं है। ऐसे में ये प्रतियोगिताएं महज खानापूर्ति साबित हो रही हैं। ग्रामीण स्तर पर खो-खो, कबड्डी, वॉलीबाल, फुटबाल का आयोजन होता है। नियमानुसार यह खेल प्रशिक्षक की मौजूदगी में होने चाहिए। लेकिन, गांव में प्रशिक्षक और खिलाड़ियों को खेल की तकनीकी जानकारी तो दूर मैदान तक उपलब्ध नहीं हैं। नतीजतन राष्ट्रीय स्तर पर इन खेलों में राज्य को अब तक कोई पदक नहीं मिल पाया है।

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शहरी खिलाड़ी झटकते हैं पदक

विभाग का दावा है कि 2013-14 में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राज्य को 40 पदक मिले। इनमें से ज्यादातर पदक शहरी खिलाड़ियों ने प्राप्त किए, जो लगातार इन खेलों का प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। हालांकि, कागजों में इन खिलाड़ियों के मूल पते गांव के ही होते हैं। बॉक्सिंग, ताइक्वांडो, जूडो, टेबिल टेनिस, बैडमिंटन आदि में ही यह पदक प्राप्त किए गए। यह किसी से छिपा नहीं है कि इन खेलों में से किसी का भी प्रशिक्षण पंचायतों में नहीं दिया जाता।

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नहीं लिया जा रहा व्यायाम प्रशिक्षकों से काम

ऐसा नहीं है कि युवा कल्याण विभाग के पास खेलों से जुड़े तकनीकी लोगों की कमी हो। हर जनपद में एक व्यायाम प्रशिक्षक तैनात है। लेकिन, विभाग इन प्रशिक्षकों को कम ही समय के लिए फील्ड ड्यूटी में भेजता है। पंचायत व ब्लॉक स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताओं में व्यायाम प्रशिक्षकों को भेजा ही नहीं जाता। इस कारण पंचायत व ब्लॉक स्तर पर खिलाड़ियों व मैदान निर्माण से जुड़े मामलों में तकनीकी पक्ष की जानकारी नहीं मिल पाती। इनका अधिकतर उपयोग जनपद स्तर के खेलों में ही किया जाता है।

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खेल आयोजन होते हैं और हम कई पदक भी जीतते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से कई खिलाड़ी सामने आ रहे हैं। सुविधाएं विकसित करना एक चरणबद्ध प्रक्रिया है।

-शक्ति सिंह, उप निदेशक, युवा कल्याण विभाग


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